अपने मित्र को पत्र लिखकर प्रेरणा दीजिए कि वह भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान में सहयोग दे। 

अविनाश 

323/B, सैक्टर-7 

रोहिणी, दिल्ली 

14.4.2014 

प्रिय मित्र सौरभ 

सस्नेह नमस्कार !

आशा है तुम सानंद होगे। मैं भी सकुशल हूँ। कल ही मैं जंतर-मंतर में चल रहे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से होकर आ रहा हूँ। वहाँ हज़ारों लोगों की उमड़ती भीड़ को देखकर लगा कि जैसे 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन फिर से साकार हो उठा हो। लोग भ्रष्टाचार के नागपाश से आजाद होने के लिए व्याकुल हैं। मैं चाहता हूँ कि तुम भी इस पवित्र कार्य में अपना सहयोग दो।

तुम्हारे आसपास कहीं भी भ्रष्टाचार विरोधी गतिविधि हो, उसमें बढ़ चढ़कर भाग लो। हमारे-तुम्हारे जैसे उत्साही लोग ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएँगे। जो युवक खुद ही रास्ता भटके हुए हैं, जो खुद ही रिश्वत, नकल, चोरी आदि बुराइयों से जकड़े हुए हैं, उनके कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। आशा है, तुम पहले से ही यह सब कर रहे होंगे। 

तुम्हारा मित्र 

अविनाश