आप अपने विद्यालय की ओर से दो सप्ताह के लिए एक गाँव में आयोजित समाज-सेवा-शिविर में गए। वहाँ की समस्त गतिविधियों का ब्यौरा देते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए।
मनमोहन
कक्ष-34
टैगोर छात्रावास
कालिंदी विद्यालय, आगरा
दिनांक 15 जनवरी, 2014
प्रिय पार्थ
कैसे हो!
आशा है आनंद से होंगे। मैं भी कुशलता से हैं। कल ही जाहरी गाँव में लगे चौदह दिवसीय सेवा-शिविर में से लौटा हूँ। यह शिविर इतना अच्छा और प्रभावी रहा कि तुम्हें बताए बिना मुझे चैन नहीं पड़ रहा।
प्रिय पार्थ! यह शिविर जाहरी गाँव के उच्च विद्यालय में लगाया गया था। विद्यालय के 50 छात्रों ने इसमें भाग लिया। सेवा-शिविर की दिनचर्या बहुत ही अच्छी थी। हमें सुबह 5.00 बजे उठा दिया जाता था। 5.30 पर हम व्यायाम और खेलों के लिए मैदान में आ जाते थे। कभी खो-खो, कभी कबड्डी तो कभी फुटबाल खेलने में मजा आ जाता था। उसके बाद नाश्ता मिलता था। यह नाश्ता हमीं में से कोई छात्र तैयार करता था। यहीं हमने चाय बनानी सीखी। हमीं लोग नाश्ते का वितरण करते थे। अपने आप काम करने का आनंद ही कुछ और होता है।
नाश्ते के बाद हम गाँव की सफाई के लिए कस्सी-फावड़ा लेकर निकल जाते थे। सभी छात्र फावड़ा चलाने के लिए बहुत उत्साहित रहते थे। चौदह दिनों की अवधि में हमने स्कूल का पूरा मैदान साफ कर दिया। लगभग एक हजार पौधे लगाए। पौधों को पानी देने का काम भी हमी ने संभाला। इस शिविर के माध्यम से हमें गाँववासियों से मिलने का भी अवसर मिला। विशेष रूप से हमें प्रौढ़ लोगों को अक्षर-ज्ञान कराने में बहुत आनंद आया। उन्हें पढ़ाकर हमें गहरी संतुष्टि मिलती थी।
पार्थ, मुझे रात के समय सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान तुम्हारी बहुत याद आती थी। उस समय लगता था कि काश, तुम भी इस शिविर में होते। मैं भी इस आयोजन में बहुत उत्साह से भाग लेता था। कुल मिलाकर यह सेवा-शिविर मुझे सदा-सदा के लिए याद आता रहेगा। शेष बातें अगले पत्र में।
तुम्हारा मित्र
मनमोहन
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