आपके छोटे भाई ने एक आवासीय विद्यालय में एक मास पूर्व ही प्रवेश लिया है। उसको मित्रों के चुनाव में सावधानी बरतने के लिए समझाते हुए एक पत्र लिखिए।
नीरज चौधरी
456, सैक्टर 14
करनाल
दिनांक 14 मई, 2014
प्रिय सोमेश
स्नेह!
आशा है छात्रावास में बड़े आनंद से होगे। तुमने पिछले पत्र में लिखा भी था कि तुम्हारा मन छात्रावास में लग गया है। तुम्हें जाते ही अच्छे मित्र मिल गए हैं। मैं तुम्हारी व्यवहार-कुशलता को जानता हूँ। इसलिए कभी-कभी डर भी लगता है कि कहीं तुम जरूरत से ज्यादा मित्र न बना लो। बाहर जाकर मित्रों की जरूरत तो होती है परंतु वे ही मित्र कभी-कभी हमारी प्रगति में बाधा भी बन जाते हैं।
प्रिय सोमेश, यह हमेशा याद रखना कि तुम छात्रावास में पढ़ने के उद्देश्य से गए हो। इसलिए जो मित्र पढ़ाई में साधक बने, उसे ही अपना मित्र बनाना। ऐसा मित्र हमेशा पढ़ने-लिखने की बातें करेगा। इससे तुम्हें भी अधिक-से-अधिक पढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। यदि मित्र ऐसा मिल गया, जिसे सैर-सपाटे का चस्का होगा तो वह तुम्हें भी पूरा शहर कई बार घुमा देगा। ऐसे में तुम लक्ष्य से भटक जाओगे।
मुझे तुम पर पूरा विश्वास है कि तुमने अपने-आप ही ऐसे मित्रों का चयन किया होगा। अगर कहीं कोई भूल-चूक हो गई हो तो कुशलता से उसे यथाशीघ्र सँवार लेना।
तुम्हारा भाई
नीरज
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