राष्ट्र-निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान 
Rashtra Nirman me Vidyarthion ka Yogdan

राष्ट्र सभी राष्ट्रवासियों को जल, अन्न, धन-धान्य, आवास तथा सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए प्रत्येक राष्ट्रवासी का कर्तव्य बनता है कि वह राष्ट्रहित का ध्यान रखे। राष्ट्र सुरक्षित होगा तो उसके निवासी भी सुरक्षित होंगे। 'विदयार्थी' का कार्य 'विदया-अध्ययन' करना है। उसे शिक्षा के साथ-साथ ऐसी विद्या भी ग्रहण करनी चाहिए जिससे राष्ट्रीय भावनाओं का विकास हो। विद्यालयों में 'एन. एस., ए. सी. सी., स्काउट्स' आदि संस्थाएँ इन भावनाओं में योगदान देने के लिए बनी हैं। छात्रों को इनमें बढ़ चढ़कर भाग लेना चाहिए। विद्यार्थियों को एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक की भाँति व्यवहार करना चाहिए। जब देश पर किसी प्रकार का संकट हो तो उसे राष्ट्रवाणी से अपनी वाणी मिला देनी चाहिए। राष्ट्र के सामने अनेक प्रकार के संकट आते हैं. कभी बाढ़, कभी सूखा, कभी युद्ध, कभी महामारी तो कभी दुर्घटनाएँ, विद्यार्थियों को प्रत्येक संकट में कमर कसे तैयार रहना चाहिए। किसी देश की क्रांति में नवयुवकों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। जो छात्र पढ़ते समय राष्ट्र-विकास का स्वप्न अपनी आँखों में भर लेगा, वह जिस भी क्षेत्र में जायेगा, वहीं राष्ट्रहित का कार्य करेगा। जब प्रत्येक भारतीय के मन में यह भाव आ जाएगा कि उसने देश के लिए क्या किया? देश को उसने क्या दिया? देश से प्रत्येक नागरिक यदि सुविधाएँ प्राप्त करना चाहता है तो उसका भी यह कर्तव्य बन जाता है कि वह भी देश के लिए कुछ करे तभी सही अर्थों में विद्यार्थियों का राष्ट्र-हित में योगदान माना जाएगा।