स्वस्थ शरीर एक वरदान 
Swasth Sharee ek Vardaan

'स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।‘- इस प्रसिद्ध उक्ति का आशय है कि यदि शरीर ही स्वस्थ न हो तो संसार के समस्त वैभव और आस्वाद भी आनंद प्रदान नहीं कर सकते।

शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए व्यायाम करना जरूरी है। व्यायाम उन शारीरिक चेष्टाओं को कहते हैं जो शरीर को स्वस्थ तथा मजबूत बनाने के उद्देश्य से की जाती हैं। इस दृष्टि से खेल-कूद भी मनोरंजन व्यायाम ही है। जिमनाष्टिक, दौड़-कूद, ड्रिल, योग, आसन आदि क्रियाएँ भी व्यायाम के अंतर्गत आती हैं। व्यायाम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे शरीर को विस्तार मिलता है। हमारी माँसपेशियाँ मजबूत होती हैं, रक्त का प्रवाह तेज होता है, पाचन-शक्ति तीव्र होती है, नसों का व्यायाम होता है, हड्डियाँ मजबूत होती हैं, त्वचा साफ होती है, शरीर के मल पसीने के द्वारा बाहर निकलते हैं, भूख बढ़ती है और शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति आती है। स्वस्थ शरीर का अर्थ यह है कि हमारी देह उचित अनुपात में विकसित हो, गर्दन ऊँची तथा तेज तनी हुई, शरीर में लचीलापन, पुट्ठों तथा डोलों में मजबूती, पेट अंदर हो तथा आँखों में चमक हो। . नियमित व्यायाम के द्वारा ही ऐसा सुंदर शरीर बन सकता है। व्यायाम करने से मन भी शुद्ध और पवित्र होता है। स्वस्थ शरीर व्यसनों को अपने पास नहीं फटकने देता। बचपन का व्यायाम शरीर को बहुत लम्बे काल तक शक्ति देता रहता है। इसलिए चाहे प्रातःकालीन सैर ही क्यों न हो, किंतु कुछ-न-कुछ व्यायाम अवश्य होना चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति ही संसार के सब आनंदों का स्वाद ले सकता है।