संघर्ष ही जीवन है Sangharsh Hi Jeevan Hai
संघर्ष का दूसरा नाम है-जीवन । ये एक प्रकार से पर्यायवाची हैं और एक-दूसरे के पूरक भी। जिसने जीवन के सूत्र को समझ लिया, जीना तो उसी का है। भयंकर से भयंकर और विपरीत स्थिति पर विजय पाने का एक ही रास्ता है—पूरे आत्मविश्वास के साथ बाधा-विरोधों से जूझ जाना, संघर्ष करना। जो संघर्ष से बचकर चले, वह कायर है। संसार-सागर की ऊँची-उफनती लहरों को जिसने चुनौती देना सीखा है, सफलता की अनुपम मणियाँ उसी ने बटोरी हैं। जो डर कर किनारे बैठ गया, वह तो जीवन का दाँव ही हार गया। कबीर ने इस भाव को इस तरह कहा है—'जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ। यह 'गहरे पानी' पैठकर खोजना क्या है? यही संघर्ष अथवा चुनौती को स्वीकारना है, कर्म की आँच में तपना है। यही गीता का अमर संदेश है कि कर्म करना ही मनुष्य का अधिकार है और धर्म भी। जीवन-पथ पर चाहे सफलता मिले या असफलता संघर्ष करने का संकल्प शिथिल नहीं पड़ना चाहिए।
जब नाव जल में छोड़ दी, तूफान में ही मोड़ दी,
दे दी चुनौती सिंधु को, तो पार क्या, मझधार क्या।
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