सूर्योदय का दृश्य
Suryoday ka Drishya
चंद्रमा रातभर जागते रहने के कारण विश्राम करने चले। तारागण भी उँघते से लग रहे हैं, तभी धरती पर उषा का आगमन हुआ। कुशा, दूब, पत्ते, फूल-सभी पर ओस की बूंदें मोतियों के समान झलकने लगीं। खगकुल अपने मधुर कलरव से धरती व आकाश को मुखरित करने लगे। अपने प्रिय सूर्य को आया जान कमलों ने अपनी पंखुड़ियाँ खोल दीं। भँवरे मधुर मकरंद के लालच में फूलों पर मंडराने लगे। अंधकार न जाने किस कोने में छुप गया। जीवजंतु जाग गए। मनुष्य भी उठकर अपने नित्यकर्म में लग गए। सुबह की शीतल, मंद पवन, मानो लोगों को प्रेरित कर रही है—उठो, जागो, अपने-अपने कार्यों में लग जाओ। कुछ समय बाद सूर्य अपने सतरंगी किरणों रूपी अश्वों पर सवार होकर आता दिखाई दिया। हर क्षण रंग बदल रहे थे। सारा क्षेत्र लाल रंग से भरा हुआ था।
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