गंगा सफाई अभियान में असंतुष्टि प्रदर्शित करते हुए संपादक के नाम पत्र लिखिए-

प्रतिष्ठा में 

संपादक 

हिंदुस्तान 

बहादुरशाह जफ़र मार्ग 

दिल्ली 

विषय: 'मेल बॉक्स' स्तंभ में 'गंगा सफ़ाई' से संबंधित विचार प्रकाशन हेतु। 

महोदय, 

कृपया निम्नलिखित विचार अपने समाचार-पत्र के 'मेल-बॉक्स' स्तंभ में प्रकाशित करें। 

धन्यवाद 

भवदीय 

सुभाष 

संलग्न : स्तंभ हेतु पत्र


गंगा के साथ अन्याय 

गंगा नदी पिछले कुछ साल में काफ़ी प्रदूषित हुई है। इसे साफ़ करने की सारी सरकारी योजनाएँ अब तक नाकाम हो चुकी हैं। मोदी सरकार ने गंगा की सफ़ाई को राष्ट्रीय महत्त्व का दर्जा देकर इसकी सफ़ाई को एक जन-आंदोलन बनाने का भरोसा दिया था। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर गंगा की सफ़ाई के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी भी दी। इसके लिए शुरुआती तौर पर फंड भी जारी किया गया। हालांकि, इसके बाद तक गंगा की सफ़ाई के काम में तेजी नहीं आई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर गंगा की सफ़ाई की योजना इसी तरह चली, तो गंगा 200 साल में भी साफ़ नहीं हो सकती। सचमुच गंगा नदी हमसे सवाल कर रही है कि आखिर मेरा दोष क्या है? मैं तो जीवनदायिनी हूँ, फिर क्यों मैं विनाश के कगार पर हूँ ? मेरे साथ यह अन्याय क्यों हो रहा है ? गंगा के सवाल और उसके दर्द को जानने-समझने की जरूरत है। 

सुभाष बुड़ावन वाला 

खाचरौद, मध्य प्रदेश