भूमि प्रदूषण 
Soil Pollution


हम लोग जहाँ रहते हैं, वहाँ कई प्रकार के प्रदूषण फैलते हैं, जैसे-जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण । मनुष्य की आधुनिक गतिविधियाँ इन प्रदूषणों के मुख्य कारण हैं । भूमि प्रदूषण के लिए भी मनुष्य ही जिम्मेदार है । हम लोग अपने घर का कचरा आस-पड़ोस में फेंक देते हैं । हमारे चारों ओर काँच, लोहा, प्लास्टिक तथा अन्य प्रकार के कचरे बिखरे रहते हैं । इनसे न केवल गंदगी फैलती है बल्कि इस प्रकार की भूमि उपयोग के लायक नहीं रह जाती है । महानगरों तथा शहरों में घरेलू तथा उद्योग-धंधों का कचरा शहर या नगर से बाहर किसी खुले स्थान में फेंक दिया जाता है । आँधी चलने पर यह कचरा फिर से हमारे घर के आस-पास आ जाता है । वर्षा होने पर कचरा सड़कर कई प्रकार की बीमारियाँ फैलाता है । पूरे विश्व में इतना कूड़ा-करकट फेंका जाता है कि प्रत्येक वर्ष यदि इनका ढेर लगाया जाए तो इसकी ऊँचाई विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट से भी अधिक होगी । इस कूड़े का एक-तिहाई भाग औद्योगिक क्षेत्रों द्वारा उत्पन्न होता है । जीव-जंतुओं का मल-मूत्र भी कुल कचरे का एक बड़ा भाग होता है । यदि कूड़े को खुला छोड़ दिया जाता है तो वह सड़ने लगता है । आस-पास के क्षेत्रों में दुर्गंध एवं बीमारी फैलती है । बहुत से स्थानों पर कूड़े को सुखाकर जला दिया जाता है । कूड़े को जलाने से उत्पन्न धुआँ वायु को प्रदूषित कर देता है । कूड़े-कचरे को निबटाने | की एक अच्छी विधि है खुले मैदान में एक बहुत बड़ा तथा गहरा गड्ढा | खोदकर कडे को उसमें भर दिया जाए । फिर इसे समतल कर मिट्टी सेदबा दिया जाता है । इस भूमि के ऊपर भवन, पार्क आदि का निर्माण किया जाता है । इस विधि से न तो कूड़ा सड़ता है और न ही उस पर मक्खी, मच्छर और कीटाणु पनपते हैं । घरेलू कचरे को कंपोस्ट पिट में डालकर इसे खाद के रूप में भी बदला जा सकता है । हमें भूमि प्रदूषण को रोकने के लिए सभी आधुनिक वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करना चाहिए । कृषि योग्य भूमि में कीटनाशक दवाओं का कम से कम छिड़काव करना चाहिए ।