कर भला तो हो भला
Kar Bhala To Ho Bhala
कहानी संख्या :- 01
गाँव के पास एक विद्यालय थी। उस विद्यालय में गाँव के छोटे बच्चे पढ़ते थे। जब उनकी छुट्टी होती तो रास्ते मे एक जामुन के पेड़ के पास वे रुकते थे। उस पेड़ पर एक मैना ने अपना घोंसला बनाया था।
बच्चें मैना से कहते- सुनो मैना पक्षी हमें कुछ जामुन गिराओ। मैना बच्चों की आवाज सुनकर पके जामुन गिराती थी। बच्चे जामुन खाकर बहुत खुश होते थे।
एक दिन की बात हैं। मैना पक्षी कही दूर दाना चुनने चली गयी थी। वह वापस लौटते समय अपना रास्ता भूल गयी। मैना के घोंसला में उसके बच्चें बहुत चिंतित थे।
मैना के बच्चो ने- घोंसला के बाहर देखना चाहा, लेकिन वे जमीन पर गिर गए। “मैना के बच्चों को डर लग रहा था, कहीं कौआ उन्हें देख ना ले नहीं तो कौआ उन्हें मार डालेगा”।
उसी समय विद्यालय की छुट्टी हुयी और विद्यालय के बच्चें उस पेड़ के पास आये। उन्होंने मैना के बच्चो को देखा, वे समझ गए कि मैना आज पेड़ पर नहीं हैं। विद्यालय के बच्चो ने मैना के बच्चों को वापस उनके घोसलों में पहुंचा दिया। कुछ समय बाद मैना पक्षी वापस उस पेड़ में आ गयी।
मैना ने अपने बच्चों से उनका हाल पूछा- उन्होंने बताया कि आज विद्यालय के बच्चों ने उसे घोसलें में सुरक्षित पहुँचाया। मैना ने उन्हें बहुत धन्यवाद दिया और अपने बच्चों को गले से लगा लिया।
शिशिक्षा/Moral:- दोस्तों इस कहानी से हमें सिख मिलती हैं कि कर भला तो हो भला।
उपकार का बदला
Upkar Ka Badla
कहानी संख्या :- 02
एक समय की बात है। मधुमक्खियों के एक झुण्ड ने नदी के किनारे एक विशाल वृक्ष पर अपना छत्ता बना रखा था। वे प्रतिदिन फूलों से शहद लेतीं और अपने छत्ते पर इकट्ठा करती थीं।
एक दिन एक मधुमक्खी को प्यास लगी और वह नदी पर पानी पीने चली गई।
परंतु जैसे ही वह नदी पर पानी पीने के लिए झुकी, पानी की तेज धार उसे साथ बहा ले गई। वह बचने के लिए हाथ-पाँव मारने लगी और सहायता के लि भी पुकारने लगी।
सौभाग्यवश, उस समय वृक्ष पर एक कबूतर बैठा हुआ था। उसने मधुमक्खी को डूबते हुए देखा तो वह उसे बचाने का उपाय सोचने लगा। कबूतर ने उपाय सोचकर तुरंत वृक्ष से एक पत्ता तोड़ा और उसे पानी में मधुमक्खी के आगे गिरा दिया। मधुमक्खी झटपट पत्ते पर चढ़ गई। कुछ देर बाद जब उसके पँख सखगा तो वह उड़ कर कबूतर के पास गई और उसे अपनी सहायता करने के लिए धन्यवाद दिया।
कुछ महीनों बाद, एक दिन कबूतर एक पेड़ पर सुस्ता रहा था कि कहीं से वहाँ एक शिकारी आ गया। कबूतर को देखकर शिकारी की आँखों में चमक आ गई। शिकारी ने अपना धनुष उठाया और कबूतर पर तीर से निशाना साध लिया। अपना जीवन खतरे में देख कबूतर ने उड़ने का प्रयास किया किंतु वृक्ष के ऊपर एक चील को मँडराता देख वह ऐसा नहीं कर पाया। उसकी तो वही दशा हो गई थी, एक तरफ कुँआ, दूसरी तरफ खाई। हर तरफ मौत ही थी।
भाग्यवश ठीक उसी समय वहाँ पर कहीं से वही मधुमक्खी आ गई, जिसकी सहायता कबूतर ने की थी। वह अपने लिए शहद ढूँढ रही थी। मधुमक्खी ने कबूतर को देखते ही पहचान लिया।
वह पेड़ के नीचे शिकारी और पेड़ के ऊपर चील को मँडराता देखकर समझ गई कि कबूतर का जीवन खतरे में है। इसलिए वह उड़ कर शिकारी के पास गई। उसने शिकारी की दाई बाँह पर अपना डंक मार दिया।
शिकारी ने दर्द से अपना हाथ झटका तो उसका निशाना चूक गया। तीर छुट कर बतर के बजाय चील को लग गया। चील जमीन पर आ गिरी। चील को मरा देख कर कबूतर अपनी सुरक्षा के लिए वहाँ से उड़ गया। शिकारी भी अपने भाग्य को कोसता हुआ वहाँ से चला गया। इस प्रकार मधुमक्खी ने कबूतर के उपकार का बदला चुकाया।
शिक्षा: कर भला तो हो भला।

1 Comments
Thanku for your help well done👍👍👏👏💯💯
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