अध्यापक के बिना कक्षा में बिताया एक पीरियड
Adhyapak ke bina Kaksha me Bitaya ek Period

अध्यापक बिना पीरियड बिताना सभी विद्यार्थियों के लिए खुशी का अवसर होता है। विद्यार्थी कक्षा में कुछ भी करने के लिए आजाद होते हैं। कुछ विद्यार्थी मिल कर हँसी मज़ाक आरम्भ कर देते हैं। एक-दो चाक के टुकड़े उठा कर बोर्ड पर चित्रकारी शुरू कर देते हैं। पूरी कक्षा में हंसी की आवाजें सुनाई देती हैं। जो विद्यार्थी थोडे गंभीर होते हैं वे किताबें खोल कर पढ़ना शुरू कर देते हैं। वे घर के लिए दिया गया काम कर लेते हैं। कुछ कागज के जहाज बना कर इधर-उधर फेंकने लगते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं जो टेबल पर चढ़ कर चिल्लाने लगते हैं। कई बार तो वे झगडना तथा लडना भी शुरू कर देते हैं। चाहे कक्षा में एक मानीटर भी होता है लेकिन उस समय उसकी कोई नहीं सुनता। जिन विद्यार्थियों के पास कुछ करने को नहीं होता वे बोर हो जाते हैं। वे अपने खाने के डिब्बे खोल कर खाना खाने लगते हैं। यदि एक दम से साथ वाली कक्षा के अध्यापक आ जाएं तो सभी चुप हो जाते हैं। जैसे ही वे वापिस जाएं यह सब फिर से शुरू हो जाता है। जब घंटी बज जाती है तो यह खाली पीरियड खत्म हो जाता है। फिर सभी विद्यार्थी अगले पीरियड के अध्यापक की प्रतिक्षा करने लगते हैं।