मेरा बचपन
Mera Bachpan

बचपन व्यक्ति के जीवन का सुनहरा समय होता है। इस समय व्यक्ति बिल्कुल बेपरवाह होता है। वह अपने माता-पिता तथा परिवार के सदस्यों का प्यारा होता है। हर कोई उसकी देख-भाल करता है तथा उसको खुश रखने का प्रयास करता है। जब वह बीमार हो जाता है तो सभी चिन्तित हो जाते हैं। उसकी सभी इच्छाएं तथा सपने पूरे किए जाते हैं। वह सभी के आकर्षण का केन्द्र होता है। जब मैं अपने बचपन को याद करता हूँ तब सारी यादें मेरी आंखों के सामने आ जाती हैं। मेरे पिता जी को अपने काम के सम्बन्ध में बाहर आनाजाना पड़ता था। वे अकसर घर से दूर रहा करते थे। हम दो भाई-बहन थे। मैं सबसे छोटा था। मेरे माता जी हमारी देख-भाल करते थे। वे सभी जरूरतें पूरी करते थे। वे मेरे लिए नए कपड़े तथा खिलौने लाया करते थे। मझे याद जब एक बार मैं बीमार हो गया तो वे बहुत चिन्तित हो गई थीं। मेरा बुखार कम नहीं हो रहा था। वे सारी रात जागती रहीं। जब भी मेरे पिता जी टूर से घर आया करते थे तब वे हमारे लिए नई-नई चीजें लेकर आते थे। मेरे दादी-दादा जी गाँव में रहते थे। वे मुझसे बहुत प्रेम करते थे। वे अकसर हमारे घर आया करते थे। वे मेरे लिए मिठाइयां तथा चाकलेट लेकर आया करते थे। मझे स्कूल जाना पसन्द नहीं था। मुझे खेलने का बहुत शौक था। मेरा बचपन अब जा चुका है। जब भी मैं अपने बचपन को याद करता हूँ, मैं उदास हो जाता हूँ।