भीख माँगने की कुप्रथा 
Bhikh Mangne ki Kupratha

भारत एक ग़रीब देश है। भारी मात्रा में यहाँ के लोग ग़रीबी रेखा से नीचे हैं। उन्हें कई बार एक वक्त का खाना भी मुश्किल से नसीब होता है। उन लोगों ने भीख माँगने को अपना धंधा ही बना लिया है। हम शहरों में हर जगह भीख मांगने वालों को देख सकते हैं। उनके कपड़े लीरो-लीर तथा आधे ही होते हैं। कुछ सच्चे भी होते हैं परन्तु उनमें से अधिकतर झूठे होते हैं। वे अपने चेहरे पर राख मल कर अपने हाथों में कटोरा लेकर घूमते रहते हैं। वे आस-पास के लोगों की तरफ रो-रो कर भीख माँगते हैं। कई पैसे लेने के लिए लोगों को ईश्वर का वास्ता देते रहते हैं। यदि लोग उन्हें पैसे न दें तो वे उन्हें बद-दुआ देकर डराने लगते हैं। कई भीख मांगने वाले एक जगह से दूसरी जगह जाकर चीजें इकट्ठे करते रहते हैं। यदि कोई राहगीर पास से गुजरता है तो उसके पीछे पीछे जाने लगते हैं। वे तब तक उनका पीछा करते हैं जब तक भीख मिल नहीं जाती। जो नकली के भीख मांगने वाले होते हैं उन्होंने तो इसे अपना व्यापार ही बना लिया है जिसमें उन्हें कोई पैसा स्वयं से नहीं लगाना पड़ता। हमें केवल उन्हीं की सहायता करनी चाहिए जो अपाहिज हों या कोई काम न कर सकते हों। सरकार को असली भीखमंगों के लिए लाईसेंस जारी करना चाहिए। यदि कोई अन्य भीख माँगता दिखाई दे तो उससे सख्ती से पेश आना चाहिए।