लाऊडस्पीकर के नुकसान
Loudspeaker ke Numsan

लाऊडस्पीकर शहरों में अक्सर शोर मचाते दिखाई देते हैं। सुबह के समय भक्ति संगीत बज रहा होता है। लाऊड-स्पीकर सुबह से ही बजने शुरू हो जाते हैं। इसी प्रकार शाम के समय भी इनका इस्तेमाल किया जाता है। जागरण में इसे बहुत इस्तेमाल किया जाता है। इससे सबसे अधिक एक विद्यार्थी को सहना पड़ता है। उनके इम्तिहान सिर पर होते हैं। उन्हें उसकी तैयारी करनी होती है। किन्तु ऊँची-ऊँची आवाजें उन्हें पढ़ाई की ओर ध्यान केन्द्रित नहीं करने देतीं। बूढ़े लोगों के लिए सोना मुश्किल हो जाता है। दिल के रोग वाले व्यक्तियों को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ता है जब ऊँची आवाजें बार-बार उनके कानों में पड़ती हैं उन्हें रुई डाल कर अपने कान बन्द करने पड़ते हैं। इसलिए लोगों के हित के लिए लाऊडस्पीकरों का इस्तेमाल बन्द करवा देना चाहिए या इसे कम करवा देना चाहिए।

नेताओं के भाषण अकसर लोगों को परेशान करते हैं। परीक्षाओं के दिनों में इस पर सख्ती करनी चाहिए। इसलिए इसके प्रयोग पर पाबन्दी लगवानी चाहिए।