चालाक लोमड़ी तथा कौआ 
Chalak Limadi tatha Kova

एक बार एक लोमड़ी थी। वह बहुत भूखी थी। वह भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी। उसे कहीं भी भोजन प्राप्त न हुआ। अंत में वह थक गई तथा एक पेड़ के नीचे बैठ गई।

उसने ऊपर देखा। उसने देखा कि पेड़ की शाखा पर एक कौआ बैठा है। कौए की चोंच में मांस का एक टुकड़ा था। लोमड़ी ने उसे खाना चाहा। लोमड़ी ने कौए की ओर देख कर कहा, "आज तुम बहुत सुन्दर लग रहे हो। तुम बहुत मीठा गाते हो। कृपया मेरे लिए एक गाना गाओ।"

कौआ अपनी झूठी तारीफ सुन कर बहुत खुश हुआ। उसने गाना गाने के लिए अपनी चोंच खोली। जैसे ही उसने चोंच खोली, उसका मांस का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी ने टुकड़ा उठाया तथा कहा, "मुझे तुम्हारा गीत नहीं पसन्द, मुझे तो मांस का टुकड़ा पसन्द है।" कौआ बहुत दुःखी हुआ। वह अपनी मुर्खता पर दुःखी हुआ।

शिक्षा : झूठी प्रशंसा करने वालों से बच कर रहें।