हिंदी के 'नवभारत टाइम्स' समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए जिसमें देश में लडकियों की घटती जनसंख्या पर चिंता प्रकट की गई हो। आप हैं-C-298, बीटा-I ग्रेटर नोएडा के निवासी। 

श्री सुशील सिंघल 

C-298, बीटा-I, 

ग्रेटर नौएडा। 

16.1.20xx 

सेवा में, 

संपादक महोदय, 

नवभारत टाइम्स, 

बहादुर शाह जफर मार्ग, 

नई दिल्ली। 

विषय: देश में लड़कियों की घटती जनसंख्या के संबंध में। 

महोदय, 

मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय तथा संबंधित अधिकारियों का ध्यान उपरोक्त विषय में आकृष्ट कराना चाहता हूँ तथा अपना संदेश आम जनता तक पहुँचाना चाहता हूँ। कृपया इसे प्रकाशित कर अनुगृहीत करें। 

लगभग एक दशक से भारत में लड़कियों की जन्म-दर लगातार घटती जा रही है। भारत के सभी महानगरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि में लड़कों की तुलना में लड़कियों के जन्म की दर काफी कम है। बालिकाओं की घटती जनसंख्या चिंता का विषय है। यदि यह गति इसी प्रकार चलती रही तो युवकों को बेरोजगारी के साथ अविवाहित भी रहना पड़ सकता है। इससे समाज में अपहरण, बलात्कार, राहजनी, डकैती, छेड़खानी आदि की घटनाएँ बढ़ेगी। समाज का अनुशासन और संतुलन दोनों में असमानता आ जाएगी। 

लड़कियों के जन्म की दर घटने का प्रमुख कारण पुरुष-प्रधान समाज की पिछड़ी विचारधारा है। अधिकतर लोग दो बच्चों की इच्छा रखने वाले भी चाहते हैं कि दोनों बच्चे पुत्र ही होने चाहिए। कुछ लोग एक लड़का तथा एक लड़की चाहते हैं। भाषण अथवा लेखों में लड़का-लड़की की समानता की बात केवल कहने भर की है। इसलिए प्रायः माँ-बाप गर्भावस्था में ही भ्रूण की जाँच करवा लेते हैं जबकि कानून के अनुसार यह जाँच कराना अपराध है। जाँच के दौरान लड़की के पहचान होने पर गर्भावस्था में ही भ्रूण की हत्या करा दी जाती है। यह भ्रूण-हत्या मानव-हत्या के समान ही है। यह संपूर्ण नारी जाति का अपमान है। समाज में ऐसे लोगों का बहिष्कार होना ही चाहिए। सरकार को गर्भपात तथा भ्रूण-परीक्षण के संबंध में कठोर कारावास तथा दंड की व्यवस्था करनी चाहिए। 

सधन्यवाद, 

भवदीय 

श्री सुशील सिंघल