मुहावरे 
Idioms


सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओ मे हाल मे पूछे गए महत्वपूर्ण मुहावरे तथा उनके अर्थ 

List of Most Asked Hindi Idioms in CBSE Hindi Board Exams for Class 10 and Class 12 Students.




1. अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि से काम न लेना)-जब व्यक्ति का बुरा समय आता है तो उसकी पर पत्थर पड़ जाते हैं।

2. अगर-मगर करना (बहाना बनाना, टालमटोल करना)-कल तुमने मुझे रुपए दन का वचन दिया था। आज अगर-मगर करने लगे।

3. अंग-अंग ढीला होना (बहुत थक जाना)-आजकल चुनाव के दिनों में इतनी दौड़-धूप करनी पड़ती मेरा अंग-अंग ढीला हो जाता है।

4. अंगारे उगलना (अत्यधिक क्रोध करना)-छात्रों ने गरुजी की नई कार का शीशा तोड़ डाला तो गरुजी और उगलने लगे।

5. अंगारे उगलना (बहुत गर्मी पड़ना)-अभी तो जेठ का महीना भी नहीं आया सूर्य अभी से अंगारे उगल रहा

6. अंग-अंग मुस्काना (बहुत प्रसन्न होना)-जब से मैंने स्वयं के मंत्री बनने का समाचार सुना, मेरा अंग-अंग मुस्करा रहा है।

7. अंक में भरना/अंक लगाना (गले लगाना. आलिंगन करना)-रोते हुए बालक को माँ ने अपने अंक में भर लिया।

8. अंगूठा दिखाना (कार्य करने से साफ मना करना)-जब मैंने रमेश से मदद मांगी तो उसने भी अंगूठा दिखा दिया।

9. अंत पाना (भेद जानना)-प्रभु की महिमा का अंत कोई नहीं पा सकता। 

10. अंत बनाना (परलोक बनाना)-जीवन में कुछ कार्य परोपकार के लिए भी करने चाहिए ताकि अंत बन सके।

11. अंत बिगाड़ना (परलोक बिगाड़ना)-रूप, यौवन तथा धन पाकर गलत कार्य करके अपना अंत मत बिगाड़ो।

12. अंधे की लकड़ी (एक मात्र सहारा)-इस वृद्धावस्था में धन, बल तथा पौरुष तो चला गया अब तो केवल यह अमित ही मुझ अंधे की लकड़ी है।

13. अंधेरे घर का चिराग (इकलौता पुत्र)-राहुल गाँधी अपने अंधेरे घर का चिराग है।

14. अक्ल चरने जाना (बुद्धि का न होना)-तुम्हारी कथनी और करनी में कोई समानता नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि तुम्हारी अक्ल चरने चली गई है।

15. अपना-सा मुँह लेकर रह जाना (लज्जित होना)-जब उस बालक पर किसी ने भी विश्वास नहीं किया तब वह अपना-सा मुँह लेकर रह गया।

16. अपना उल्लू सीधा करना (अपना मतलब निकालना)-किसी का लाभ हो या हानि व्यापारी अपना 8 सीधा करने से नहीं चूकते।

17. अपनी खिचड़ी अलग पकाना (साथ मिलकर न रहना)-वामपंथियों को देश से क्या मतलब ? अपनी खिचड़ी अलग पकाते हैं।

18. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (अपनी प्रशंसा स्वयं करना)-अपने मुँह मियाँ मिठू बनने से क्या लाभ है? कोई काम करके दिखाओ तो जानें।

19. अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ी मारना (अपनी हानि स्वयं करना)-प्रेम प्रकाश ! तुमने तीस वर्ष की पक्की सरकारी नौकरी छोड़कर अपने पाँव पर आप ही कुल्हाड़ी मारी है।

20. अक्ल का दुश्मन (मूर्ख, नासमझ)-रामू को समझाने का क्या लाभ ? वह तो अक्ल का दुश्मन है। 

21. आँखें चुराना (अनदेखा करना)-मित्र को मुसीबत में पड़ा देखकर कपटी मित्र उससे आँख चुरा लेते हैं।

22. आँखें बिछाना (बहुत आदर-सम्मान करना)-सुदामा को अपने घर आया देखकर भगवान श्री कृष्ण ने उसके स्वागत में आँखें बिछा दीं।

23. अच्छे दिन आना (भाग्य खुलना)-अब तो रेखा के भी अच्छे दिन आ गए हैं, उसकी लॉटरी जो निकल आई है।

24. अपना राग अलापना (किसी की न सुनना/अपनी बात पर अड़े रहना)-पूनम बहुत जिद्दी है। हमेशा अपना राग अलापती रहती है।

25. अक्ल का पुतला (बुधिमान)-आजकल के छात्र अपने-आपको अक्ल का पुतला मानते हैं।

26. अरमान निकालना (मनोरथ पूरा करना)-कितने दिन बाद मिली हो, जी भरकर अरमान तो निकाल लेने दो, चली जाना।

27. आँख उठाना (हानि पहुँचाने की कोशिश करना/ बुरी तरह देखना)-किसमें इतनी हिम्मत है जो तुम्हारी ओर आँख उठा सके।

28. आँख उठाकर न देखना (परवाह न करना)-मैंने श्याम की बहुत खुशामद की किन्तु उसने आँख उठाकर भी न देखा।

29. आँख मारना (इशारा करना)-यह तो सारा भेद खोल देता किंतु मैंने आँख मार दी जिससे यह सावधान हो गया।

30. आँखें चार होना (आमन-सामने होना)-आँखें चार होते ही मेरी सुध-बुध जाती रही और मैं उसका हो गया।

31. आँखें दिखाना (क्रोध से देखना)-मुझे क्यों आँखें दिखाते हो, अपने बेटे को समझाइए वह हमारे घर न आया करे।

32. आँखें फेरना (बदल जाना, प्रतिकूल हो जाना)-स्वार्थपूर्ति होते ही आँख फेर लेना आजकल सामान्य बात है। 

33. आँख पथरा जाना (देखते-देखते थक जाना)-प्रतीक्षा करते-करते मेरी आँखें पथरा गईं वह फिर भी नहीं आई। 

34. आँखों का काँटा होना (बुरा लगना)-महाराणा प्रताप ही अकबर की आँख का काँटा थे। 

35. आँखों का तारा (अति प्रिय, बहुत प्यारा होना)- श्री कृष्ण समस्त ब्रज की गोपियों के आँख के तारे थे।

36. आँखों से गिरना (आदर कम होना)-जब से तुमने चोरी की है तुम मेरी आँखों से गिर चुके हो। 

37. आँखों पर बैठाना (आदर करना)-कर्ण का पराक्रम देखकर दुर्योधन ने उसे आँखों पर बिठा लिया। 

38. आँखों में समाना (सदा याद रखना)-एक ही झलक में प्रभु की मोहनी मूर्ति मेरी आँखों में समा गई। 

39. आँखों में रात काटना (रात भर जागते रहना)-अशोक वन में सीताजी ने अनेक रातें आँखों में काट दीं। 

40. आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)-चोर सभी की आँखों में धूल झोंककर हार चुरा ले गया। 

41. आँच न आने देना (हानि न होने देना)-तुम निश्चित रहो, मैं तुम्हारे ऊपर आँच नहीं आने दूंगा। 

42. आँखें खुलना (होश आना)-जब पांडव जुए में सब कुछ हार गए तब उनकी आँख खुली।

43. आँखों पर पर्दा पड़ना (धोखा खाना)-रावण की आँखों पर ऐसा पर्दा पड़ा था कि उसको अच्छे-बुरे का ज्ञान ही नहीं रहा।

44. आसमान पर चढ़ना (बहुत अभिमान करना)-विद्यालय में प्रथम आते ही आनंद आसमान पर चढ़ गया।

45. आकाश-पाताल एक करना (बहुत परिश्रम करना)-राधा ने जब नया व्यापार प्रारंभ किया तो परिश्रम करने म आकाश-पाताल एक कर दिया। उसा से वह आज बहुत धनी बनी है। ।

46. आँचल पसारना (प्रार्थना करना)-माँ ने बीमार बालक के लिए भगवान से आँचल पसारकर भीख माँगी। 

47. अनुनय-विनय करना (प्रार्थना करना)-मैंने अध्यापक से बहुत अनुनय-विनय की कि वे जुर्माना माफ कर दें।

48. आग-बबूला होना (बहुत क्रोध करना)-आग-बबूला होने की कोई आवश्यकता नहीं, यह लो अपने का और यहाँ से चले जाओ।

49. आस्तीन का साँप (कपटी मित्र)-जिसकी तुमने मदद की वही तुम्हारे लिए आस्तीन का साँप बना है। वह सदैव तुम्हारी निंदा करता है।

50. आसमान पर थूकना (निर्दोष पर लांछन लगाना)-उस सज्जन व्यक्ति पर आरोप लगाना तो आसमान, थूकना है।

51. आकाश-पाताल का अंतर (बहुत अधिक अंतर)-कर्ण और दुर्योधन के चरित्र में आकाश-पाताल का अंतर होते हुए भी गहरी मित्रता थी।

52. आग में घी डालना (क्रोध को भडकाना)-परशराम क्रोध से तो जल ही रहे थे लक्ष्मण ने तीखी बातें कहा और आग में घी डाल दिया।

53. अरमान रहना (इच्छा का पूरा न होना) कक्षा में प्रथम न आने पर मेरे अरमान धरे रह गए।

54. आँखों का पानी ढलना (निर्लज्ज बन जाना)-श्याम की आँख का पानी ढल गया है अब वह कोई भी अपराध करने से नहीं चूकता।

55. आँसू पोंछना-(धीरज देना)-अचानक पिताजी की मृत्यु हो गई अब इस संसार में बेचारे राजू का कोई आँस पोंछने वाला भी नहीं है।

56. आकाश से बातें करना (अधिक ऊँचा होना)-रावण के महल के कलश आकाश से बातें कर रहे थे। 

57. आगे-पीछे फिरना (चापलूसी करना)-कुछ लोग अपना कार्य न करके साहब के आगे-पीछे फिरते रहते हैं।

58. आटे-दाल का भाव मालूम होना (कठिनाई का अनुभव होना)-बच्चों को क्या पता धन कहाँ से आता है ? नौकरी करेंगे तो आटे-दाल का भाव मालूम हो जाएगा।

59. आड़े हाथों लेना (खरी-खरी सुनाना)-राम मुझे आज सड़क पर मिल गया तो मैंने उसकी गलती पर उसे आड़े हाथों लिया। अब वह शायद फिर ऐसी गलती नहीं करेगा।

60. आपे से बाहर होना (अत्यधिक क्रोध से काबू में न रहना)-दुर्जन व्यक्ति सत्ता पाते ही आपे से बाहर हो जाता है।

61. आँखों में खून उतरना (बहुत क्रुद्ध होना)-अपने गुरुजी की बुराई सुनकर मेरी आँखों में खून उतर आया।

62. आँस पीकर रह जाना (अति शोक में चुप रह जाना)-अपने बालकों को अच्छे स्कल में पढ़ाने में असमर्थ वह विधवा आँसू पीकर रह गई।

68. आँधी के आम (बिना परिश्रम अथवा सस्ती मिली हुई वस्तु)-राम को अपनी संपत्ति आँधी के आम का तरह पड़ी हुई मिल गई। पीकर रह गया।

64. आँस पी जाना (भीतर ही भीतर रोना, दुःख प्रकट न होने देना)-अपनी माताजी की मृत्यु पर राम आस्

65. आकाश का फूल (अप्राप्य वस्तु)-मंत्री पद तो उसके लिए आकाश का फल हो गया है। आसमान टूट पड़ा।

66. आसमान टूट पड़ना (अचानक महान विपत्ति आना)-पुत्र की मृत्य का समाचार सनते ही मा पर

67. आन बचाना (इज्जत रखना)-अभिमन्यु ने जान देकर भी पांडवों की आन बचा ली। 

68. इधर-उधर की हॉकना (व्यर्थ की गप्पें मारना)-मुझे परी बात पता है इधर-उधर की मत हाका। 

69. ईंट से ईंट बजाना (नष्ट करना)-नादिरशाह ने दिल्ली की ईंट से ईंट बजा दी।

70. ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना)-बहुत दिनों के बाद मिलने पर राम ने श्याम कहा कि भाई तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।

71. उल्लू बनाना (मूर्ख बनाना)-विद्यालय जाने के नाम पर फिल्म देखना माता-पिता को उल्लू बना को उल्लू बनाना है।

72. उन्नीस-बीस का अंतर होना (बहुत थोड़ा अंतर)-सीता और गीता दोनों जुड़वाँ बहनों में उन्नीस-बीस का ही अंतर है।

73. उल्टी गंगा बहाना (विपरीत काम करना)-आप गलती करने वाले से क्षमा माँगकर उल्टी गंगा क्यों बहा रहे हो ?

14. उँगली पर नचाना (अच्छी तरह वश में करना)-विनय की पत्नी उसे अपनी उँगली पर नचाती है। 

75. उँगली उठाना (दोष निकालना)-शास्त्री जी ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन पर कोई उँगली नहीं उठा सकता।

76. उठा न रखना (कमी न छोड़ना)-पाकिस्तान ने भारत को बदनाम करने के लिए कुछ उठा नहीं रखा।

77. उड़ती चिड़िया पहचानना (बहुत अनुभवी होना)-इस अध्यापक की निगाह से कोई शरारती छात्र नहीं बच सकता, यह तो उड़ती चिड़िया पहचानता है।

78. ऊँट के मुँह में जीरा (अधिक खाने वाले को कम देना)-दारासिंह जैसे पहलवान को एक गिलास दूध पिलाना ऊँट के मुँह में जीरा देना है।

79. एक आँख से देखना (समान दृष्टि से देखना)-माता-पिता अपने सभी बच्चों को एक आँख से देखते हैं।

80. एक ही लकड़ी से हाँकना (सभी के साथ समान व्यवहार करना)-अध्यापक को कक्षा में सभी छात्रों को एक ही लकड़ी से हाँकना चाहिए।

81. उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना (तनिक सा सहारा पाकर सारे पर अधिकार करना)-राम ने श्याम को निर्धन समझकर घर के बाहर चबूतरे पर बैठने की अनुमति दी। धीरे-धीरे श्याम ने उस जगह पर अधिकार ही कर लिया। इसे कहते हैं उँगली पकड़कर पहुंचा पकड़ना।

82. एड़ी चोटी का जोर लगाना (बहुत परिश्रम करना)-विजेन्द्र को बाक्सिंग में स्वर्ण पदक प्राप्त करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाना पड़ा।

83. एक ही थैली के चटूटे-बटे (एक जैसे)-सभी नेता एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं, यहाँ किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

84. एक हाथ से ताली न बजना (किसी एक पक्ष का दोष न होना)-इस झगड़े में तुम्हारी गलती भी अवश्य होगी क्योंकि एक हाथ से ताली नहीं बज सकती।

85. एक और एक ग्यारह होना (संगठन में ही शक्ति है)-मिलकर कार्य करने से ही सफलता प्राप्त होती है क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।

86. ओखली में सिर देना (जानबूझकर मुसीबत मोल लेना)-दो मित्रों का झगड़ा है, तुम व्यर्थ ही ओखली में सिर दे रहे हो।

87. एक ही नौका में सवार होना (एक समान परिस्थिति में होना)-लगता है मैं और तुम एक ही नौका में सवार हैं।

88. एक आँख न भाना (तनिक भी अच्छा न लगना)-सुरेश को अपना स्वार्थी मित्र एक आँख नहीं भाता।

89. ओंठ चबाना (क्रोध प्रकट करना)-बिना गलती के राजेश को पुलिस पीटे जा रही थी, तब मैं ओंठ चबाकर रह गया।

90. आँधी खोपड़ी (बुद्धिहीनता)-वह औंधी खोपड़ी का व्यक्ति है, उससे उलझना व्यर्थ है।

91. कमर कसना (किसी कार्य को दृढ़ निश्चय के साथ करना)-मधु ने इस बार कक्षा में प्रथम आने के लिए कमर कस ली है।

92. कठपुतली होना (दूसरे के इशारे पर चलना)-आजकल यूनियन के नेताओं से कहने का कोई फायदा नहीं क्योंकि वे तो आजकल अधिकारियों की कठपुतली बने हुए हैं।

93. कलेजा थामना (दुःख सहने के लिए जी कड़ा करना)-इकलौते पुत्र की मृत्यु पर पिता को कलेजा थामना पड़ा।

94. कमर टूटना (हतोत्साहित करना हिम्मत समाप्त करना)- कारखाने में आग लगने से मालिक की कमर ही टूट गई।

95.कतर-ब्योंत करना (काँट-छाँट करना)-यह उपन्यास बहुत बड़ा है इसलिए इसमें कतर-ब्योंत करना जरूरी है।

96. कन्नी काटना (पास आने से बचना)-उधार देते ही व्यक्ति कन्नी काटने लगता है। 

97. कलई खुलना (भेद खुल जाना)-चोर जैसे ही पलिस की गिरफ्त में आया उसकी सारी कलई खुल गई।

98. कब्र में पैर लटकना (मृत्यु के समीप होना)-बीमा कंपनी उन वृद्ध व्यक्तियों का बीमा नहीं करती जिन पैर कब्र में लटके रहते हैं।

99. कटे पर नमक छिड़कना (दखी को और दखी करना)-राम के चोट लग गई और पिता ने डाँटकर को पर नमक छिड़क दिया।

100. कपोल-कल्पित होना (मनगढंत होना)-मंगेरीलाल रंगीन सपने देखता है उसके सभी सपने कपोल-कल्पित हैं।

101. कंधे से कंधा मिलाना (सहयोग करना)-जन आंदोलन की सफलता के लिए सभी को कंधे से कन्धा मिलाकर कार्य करना चाहिए।

102. कंठ का हार होना (अत्यंत प्रिय होना)-प्रत्येक पुत्र अपनी माँ के लिए कंठ का हार होता है।

103. कंगाली में आटा गीला (गरीबी में और अधिक हानि होना)-राकेश पहले से हृदय-रोगी था, अब नौकरी भी छूट गई। यह तो कंगाली में आटा गीला होने वाली बात हुई।

104. कच्ची गोलियाँ खेलना (अनुभव की कमी होना)-छात्र ने अध्यापक को धोखा देने का प्रयास किया किन्तु वह कच्ची गोलियाँ नहीं खेला था उसने छात्र का धोखा पकड़ लिया।

105. कड़वे घूंट पीना (कष्टदायक बात सहन कर जाना)-जुए में हारने के कारण पांडव इतने मजबूर थे कि उन्हें द्रौपदी के आपमान का घूंट पीना पड़ा।

106. कलेजा छलनी होना (बहुत दुखी होना)-कारगिल में पुत्र की मृत्यु के समाचार से पिता का कलेजा छलनी हो गया।

107. कलेजा ठंडा होना (मन में शांति होना)-जब तक भीम ने द्रौपदी के अपमान का बदला नहीं लिया, तब तक उसका कलेजा ठंडा नहीं हुआ।

108. कलेजा निकाल कर रख देना (सब कुछ समर्पित कर देना)-अपनी सहेली को फटेहाल देखकर सुनीता का दिल किया कि वह अपना कलेजा निकाल कर रख दे।।

109. कलेजा फटना (असहनीय दुख होना)-संजय गाँधी की मृत्यु के समाचार से इंदिरा गाँधी का कलेजा फट गया।

110. कलेजा मुँह को आना (बहुत दुखी होना)--रेखा की दर्द भरी कहानी सुनकर कलेजा मुँह को आ गया। 

111. कलेजे का टुकड़ा (अत्यधिक प्रिय होना)-प्रत्येक पुत्र अपनी माँ के लिए कलेजे का टुकड़ा होता है।

112 कलेजे पर पत्थर रखना (चुपचाप सहन करना, धीरज रखना)- युवा पुत्र की मृत्यु पर माँ-बाप को कलेजे पर पत्थर रखना पड़ता है। 

113. कलेजे पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना)-हमारे साथी ऐसे दुष्ट हैं कि हमारी उन्नति देखकर उनके कलेजे पर साँप लोटने लगते हैं।

114. काँटे बिछाना (मार्ग में बाधा उत्पन्न करना)-सज्जनों के मार्ग में कोई कितने ही काँटे क्यों न बिछा वे सभी मुसीबतों को पार कर जाते हैं।

115 कागज काले करना (व्यथं लिखना)-सोच-समझकर लिखना चाहिए यूँ ही कागज़ काले करना व्यर्थ है। 

116 कागजी घोड़े दौड़ाना (मार्ग में मुसीबत खड़ी करना, कल्पनाओं में सफलता प्राप्त करना)-जीवन में कुछ करोगे भी अथवा यूँ ही कागज़ी घोड़े दौड़ाते रहोगे।

117. काठ का उल्लू (अत्यंत मूर्ख)-तुम्हें श्याम से क्या सलाह लेनी है वह तो निरा काठ का उल्लू है।

118. कान कतरना/काटना (बहुत अधिक चालाक होना)-इस बालक को कम न समझना। यह अच्छे-अच्छे के कान कतरता है।

119. कान खाना (बहुत शोर करना)-छात्रो चुप हो जाओ। अब अधिक कान मत खाओ।

120. कान का कच्चा होना (बिना सोचे समुझे विश्वास करने वाला)-श्याम कान का इतना कच्चा है कि उसे जो भी व्यक्ति कुछ कह दे वह उस पर विश्वास कर लेता है।

121. कान पकड़ना (अपनी भूल स्वीकार करना)-माँ ने बेटे से कहा कि मैं तुझे तभी क्षमा करूंगी जब तुम आगे के लिए कान पकड़ोगे कि ऐसी गलती फिर नहीं करोगे।

122. कान खड़े होना (सावधान होना)-राम के घर आई पुलिस को देखकर मेरे कान खड़े हो गए। 

123. कान पर जूं न रेंगना (असर न होना)-उस नौकर को बहुत समझाया किन्तु उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगी।

124. कान में फूंक मारना (प्रभावित करना)-सीता दूसरों के कान में क्या फंक मारती है ? सभी उसकी सहेलियाँ बन जाती हैं।

125. कान भरना (चुगली करना)-कुछ कर्मचारी दिन-भर अधिकारियों के कान भरते रहते हैं। 

126. कान लगाकर सुनना (ध्यान से सुनना)-प्रतिभाशाली छात्र अपने शिक्षक की बात कान लगाकर सुनते हैं। 

127. कानाफूसी करना (गुपचुप बातें करना)-स्त्रियाँ शोक-सभा में जाने पर भी कानाफूसी करने लगती हैं।

128. कानों में तेल डालना (ध्यान न देना)-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को काम ही नहीं करना होता वे तो कानों में तेल डाले बैठे रहते हैं।

129. काफूर होना (गायब हो जाना)-धूप में कपड़ों का रंग काफूर हो जाता है। 

130. काम आना (युद्ध में मरना)-कारगिल में सेना के अनेक जवान काम में आ गए। 

131. काम तमाम करना (मार देना)-मैंने एक ही गोली से शेर का काम तमाम कर दिया।

132. काया पलट होना (बिलकुल बदल जाना)-शहर जाकर रमेश ने ऐसे जीना सीखा कि देखकर लगा कि पूरा काया पलट ही हो गया।

133. कालिख पोतना (बदनाम करना)-जुआ खेलकर पुत्र ने पिता के सम्मान पर कालिख पोत दी।

134. किताब का कीड़ा (हर समय पढ़ते रहना)-राधेश्याम तो किताब का कीड़ा है कभी खेलने के लिए घर से बाहर ही नहीं आता।

135. किरकिरा होना (मज़ा बिगड़ जाना)-पिकनिक वाले दिन वर्षा होने से पिकनिक का मजा किरकिरा हो गया।

136. कीचड़ उछालना (बदनामी करना)-दुर्जन व्यक्ति सज्जनों के चरित्र पर भी कीचड़ उछालने से नहीं चूकते।

137. कुत्ते की दुम (सदैव कुटिल)-तुम कभी नहीं सुधर सकते क्योंकि तुम तो कुत्ते की दुम हो जो कभी सीधी नहीं हो सकती। 

138. कुत्ते की मौत करना (दुखपूर्ण मौत मरना)-तुमने मुझे इतना सताया है देखना तुम भी कुत्ते की मौत मरोगे।

139. कुहराम मचना (बहुत अधिक रोना-पीटना)-उसके लड़के के जरा-सी चोट क्या लगी, राधा ने कुहराम मचा दिया।

140. कोल्हू का बैल (निरंतर कार्य करना)-शर्मा जी की जिंदगी पर तरस आता है। दिन-भर काम ही काम। बेचारे कोल्हू के बैल बने रहते हैं।

141. कागज़ की नाव (अस्थायी/क्षण भंगुर)-संतों ने कहा है कि यह शरीर कागज़ की नाव है। इस पर अहंकार मत करना।

142. किनारे बैठना (अलग रहना)-हम अपना कार्य कर लेंगे तुम किनारे बैठो। 

143. किसी के घर में आग लगाकर अपने हाथ सेंकना (अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए दूसरे को हानि पहुँचाना)-मैं राधा को अच्छी तरह जानता हूँ वह उन लोगों में से है जो दूसरों के घर में आग लगाकर अपने हाथ सेंकते हैं।

144. खालाजी का घर (आसान काम)-एम. एस. सी. करना खालाजी का घर नहीं कि बिना पढ़े ही डिग्री मिल जाय।

145. खिच खिच होना (परेशानी होना)-शादी-ब्याह में जब लोगों का जमघट होता है किसी न किसी बात पर खिच खिच हो ही जाती है।

146. खटका लगा रहना (डर लगा रहना)-जब से शहर में खून हुआ है यहाँ कि निवासियों के मन में खटका लगा रहता है।

147. खटाई में पड़ना (काम में रुकावट आना)-बिजली न आने से कारखाने का उत्पादन-कार्य खटाई में पड़ गया।

148. खरी-खरी सुनाना (स्पष्ट तथा कठोर बातें कहना)-जब मैंने सारिका की चोरी पकड़ ली तो उसे खरी-खरी सुनाई।

149. खरी-खोटी सुनाना (बुरा-भला कहना)-लीना को नकल करते हुए पकड़ने पर अध्यापक ने उसे खरी-खोटी सुनाई।

150. खाक छानना (कष्ट उठाना)-महाराणा प्रताप को देश की आज़ादी के लिए जंगलों की खाक छाननी पड़ी। 

151. खाक में मिलना (नष्ट हो जाना)-यह मानव शरीर अंत में खाक में मिल जाएगा।

152. खाक में मिलाना (नष्ट कर देना)-अमेरिका ने ईराक पर बमबारी करके उसके सैनिक अड्डों को खाक में मिला दिया।

153. खिचड़ी पकाना (गुप्त रूप से योजनाएँ बनाना)-सुना है आजकल रीता तथा गीता के बीच खिचड़ी पक रही है।

154. खिल्ली उड़ाना (हँसी करना)-आजकल के विद्यार्थी पूजा-पाठ करने वालों की खिल्ली उड़ाने से नहीं चूकते।

155. खून का प्यासा (भयंकर दुश्मनी/भयंकर शत्रु)-जिस दिन से दुर्योधन ने द्रौपदी का चीर-हरण किया था तभी से भीम उसके खून का प्यासा हो गया था।

156. खून का घूँट पीना (क्रोध को अंदर ही अंदर सहना)-नवयुवकों द्वारा अपनी खिल्ली उड़ती देखकर पंडितजी खून का घूँट पीकर रह गए।

157. खून सूखना (डर जाना)-सहसा शेर को सामने से आता देखकर मेरा खून सूख गया। 

158. खून खौलना (जोश में आना)-द्रौपदी का चीर-हरण देखकर महाबली भीम का खून खौलने लगा।

159. खून-पसीना एक करना (बहुत परिश्रम करना)-बाढ़ के बाद गरीबों ने अपने मकान बनाने के लिए खून-पसीना एक कर दिया।

160. ख्याली पुलाव पकाना (कपोल कल्पनाएँ करना)-मेहनती लोग जीवन में परिश्रम करते हैं जबकि आलसा लोग ख्याली पुलाव पकाते रहते हैं।

161. गर्म होना (क्रोध में आना)-मुझ पर क्यों गर्म होते हो ? जाकर मालिक से बात करो। 

162. गत बनाना (पीटना)-उसे जरा आने दो ऐसी गत बनाऊँगा कि जीवन भर याद रखेगा। 

163. गाल बजाना (डींग मारना/बढ़-चढ़कर बातें करना)- कुसुम सदैव गाल बजाकर सभी को बोर करती है।

164. गागर में सागर भरना (बहुत कम शब्दों में बहुत बड़ी बात करना, सारगर्भित बात कहना, थोड़े में बहुत कहना)-बिहारी ने प्रत्येक दोहे में गागर में सागर भर दिया है।

165. गज भर की छाती होना (गौरव से भर जाना)-पत्री के प्रथम आने पर माता की छाती गज भर का गई।

166. गर्दन उठाना (विरोध करना)-इंदिरा जी की यह नीति थी कि जो भी दुष्ट गर्दन उठाए उसे वहीं दबा दो।

167. गड़े मुर्दे उखाड़ना (पिछली बातों को व्यर्थ में याद रखना)-यदि देश में शांति चाहते हो तो आज की समस्याओं की चर्चा करो, गड़े मुर्दे मत उखाड़ो।

168. गले मढ़ना (जबरदस्ती काम सौंपना)-मैंने प्राचार्य को बार-बार मना किया किन्तु उन्होंने यह काम मेरे गले मढ़ ही दिया।

169. गले पड़ना (मुसीबत पीछे पड़ना) हरिद्वार में एक भिखारी को खाना खिलाया तो बाकी खड़े भिखारी मेरे गले पड़ गए।

170. गले का हार (बहुत प्यारा)-प्रत्येक पुत्र अपनी माँ के गले का हार होता है। 

171. गुल खिलाना (नया कार्य करना)-अपराधी जेल में रहकर भी नये गुल खिलाते रहते हैं। 

172. गर्दन झुकना (लज्जित होना)-बेटे की काली करतूतों से माता की गर्दन झुक गई।

173. गर्दन पर सवार होना (पीछे पड़े रहना)-छात्र अपनी सीट पर बैठे। अध्यापक के पास जाकर उसकी गर्दन पर सवार न हों।

174. गला घोंटना (जबरदस्ती चुप कराना)-छात्रों को अपनी शिकायत प्राचार्य से करने दो उनका गला मत घोंटो।

175. गले का ढोल (जबदरस्ती चिपका हुआ)-राम को मैंने मजबूरी में अपने घर में रखा। यह तो गले का ढोल है जिसे बजाना मेरी मजबूरी है।

176. गिरगिट की तरह रंग बदलना (सिद्धांतहीन होना)-आज के नेताओं पर विश्वास मत करिए वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं।

177. गीदड़ भभकी (व्यर्थ की धमकी)-यह अधिकारी तो डरपोक है मैं इसकी गीदड़ भभकी से डरने वाला नहीं।

178. गोलमाल करना (गबन करना)-पुलिस चोर को क्या पकड़ेगी वह तो पहले ही सारा सामान गोलमाल कर गई। 

179. गोबर गणेश होना (निरा मूर्ख)-सुरेश की सलाह मत मान लेना वह तो गोबर गणेश है।

180. गेहूँ के साथ घुन पिसना (बड़ों के साथ छोटों की दुर्गति होना)-दंगों में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को जो भी हाथ लगा उसे बंद कर दिया। गेहूँ के साथ अनेक घुन पिस गए।

181. गुलछर्रे उड़ाना (मौज करना)-उसका बाप मृत्यु-शैया पर था। बेटा बाजार में गुलछर्रे उड़ा रहा था।

182. गूंगे का गुड़ (अव्यक्त अनुभव)-ईश्वर की भक्ति के आनंद को व्यक्त नहीं किया जा सकता यह तो गूंगे का गुड़ है।

183. गुस्सा पीना (क्रोध को रोकना)-भरी कक्षा में अपमानित होकर भी मैं गुस्सा पी गया। 

184. गंगा नहाना (बड़ा कार्य कर देना)-पुत्री के विवाह के बाद माँ-बाप को लगा कि मानो वे गंगा नहा लिए। 

185. गुरु घंटाल (बहुत चालाक और धूत)-नटवरलाल से बचकर रहना वह तो गुरु घंटाल है।

186. गुड़िया का खेल (आसान काय)-एम. सी. ए. करना कठिन कार्य है। यह कोई गुड़िया का खेल नहीं है।

187, गुदड़ी का लाल (निर्धन परिवार में जन्मा गुणी व्यक्ति)-लाल बहादुर शास्त्री जब प्रधानमंत्री बने तो यह सिद्ध हो गया कि वे गुदड़ी के लाल थे।

188. गंगाजली उठाना (कसम खाना)-यदि तुम सत्य बोल रहे हो तो गंगाजली उठा लो। 

189. गोद भरना (संतान होना)-शादी के बीस वर्ष बाद आज कुसुम की गोद भरी है। 

190. गीत गाना (प्रशंसा करना)-गरीब वोटर को जो भी नेता पैसा दे दे वह तो उसी के गीत गाने लगता है।

191, गाठ बांधना (अच्छी तरह याद रखना) गाँधी जी की इस शिक्षा को अच्छी तरह गाँठ बॉब लो कि 'राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।'

192. गुड़ गोवर होना (बना बनाया कार्य बिगाड देना) हम सभी लोग तैयार होकर घूमने जा ही रहे थे कि मामाजी ने आकर सारा प्रोग्राम गड गोबर कर दिया।

193. घर में गंगा बहाना (सविधा होना) तम्हें ट्यूशन रखने की क्या आवश्यकता ? तुम्हारे तो घर में ही गंगा बहती है क्योंकि तुम्हारे माता-पिता तो स्वयं अध्यापक हैं।

194. घर फूक कर तमाशा देखना (अपना नाश करके मस्ती में रहना)-राम तो उन लोगों में से है जो घर फॅक तमाशा देखते हैं।

195. घड़ों पानी पड़ना (बहुत लज्जित होना)-श्याम जब रंगे हाथों चोरी करते पकड़ा गया तो उस पर घडों पानी पड़ गया।

196. घाव पर नमक छिडकना (दखी व्यक्ति को और कष्ट देने वाली बात कहना)-आजकल कोई किसी की मदद नहीं करता है। सभी एक-दूसरे के घावों पर नमक छिड़कते हैं।

197. घाट-घाट का पानी पीना (बहुत अनुभवी होना)-मंत्री जी को कम मत समझना। इन्होंने घाट-घाट का पानी पी रखा है।

198. घाव हरा होना (भूला दुख याद आना)-पिछली बातें सुनाकर क्यों इनका घाव हरा कर रहे हो ? 

199. घी के दिये जलाना (खशी मनाना)-भारत को स्वतंत्रता मिलने पर जनता ने घी के दिये जलाए।

200. घास खोदना (व्यर्थ समय गँवाना)-तुम्हारी अयोग्यता देखकर लगता है कि स्कूल जाकर तुमने घास खोदी है।

201. घुटने टेकना (हार मान लेना)-भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष घटने टेक दिए थे।

202. बोड़े बेचकर सोना (गहरी नींद सोना)-परीक्षा देने के बाद छात्र घोड़े बेचकर सोते हैं।

203. घर का उजाला (सम्मान बढ़ाने वाला)-सौरभ ने आई. ए. एस. की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। वह वास्तव में अपने घर का उजाला है।

204. घुट-घुट कर मरना/घुल-युल कर मरना (कष्ट भोगकर मरना)-दशरथ पुत्र वियोग में घुल-घुल कर मर गए। 

205. चल बसना (मर जाना)-मेरी माताजी की दशा इतनी खराब थी कि वे कल चल बसीं। 

206. चंपत हो जाना (गायब हो जाना)-पुलिस को देखते ही चोर चंपत हो गया। 

207. चकमा देना (धोखा देना)-चौर पुलिस को चकमा देकर भाग गया। 

208. चाँद पर थूकना (निदोष पर दोष लगाना)-किसी महात्मा पर चारित्रिक दोष लगाना चाँद पर थूकना है।

209. चाँदी का जूता (रिश्वत/घूस)-आजकल सरकारी अधिकारी बिना चाँदी का जूता पहने काम नहीं करते।

210. चाँदी होना (लाभ ही लाभ होना)-रेखा की लॉटरी लग गई उसकी तो चाँदी हो गई। 

211.चादर से बाहर पैर पसारना (आमदनी से अधिक खर्च करना)- सुखी रहना है तो आय से कम खर्च करो। चादर से बाहर पैर पसारने से कष्ट होता है।

212. चादर तानकर सोना निश्चित होना)-प्रथम श्रेणी में पास होकर सार्थक चादर तानकर सो गया।

213. चार चाँद लगाना (शोभा बढ़ाना)-मल्लेश्वरी ने ओलम्पिक में पदक लाकर देश की प्रतिष्ठा में चार चाँद लगा दिए।

214. चार सौ बीस होना (धोखेबाज होना)-यात्रा में अपरिचितों से सावधान रहना चाहिए इनमें से अनेक ता चार सौ बीस होते हैं।

215. चिकना घड़ा (बेअसर)-शरारती छात्र ऐसे चिकने घड़े हो जाते हैं कि डाँट-फटकार का उन पर कोई असर ही नहीं होता।

216. चिकनी-चुपड़ी बातें करना (खुशामद करना) मधु तो सदैव चिकनी-चुपड़ी बातें करती है इसीलिए अधिकारी उसकी बात पर विश्वास नहीं करते।

217. चिराग तले अंधेरा (महत्त्वपूर्ण स्थल पर अन्याय होना)-कोतवाली के सामने हत्या होना तो चिराग तले अंधेरा होना है।

218. चींटी की चाल (बहुत धीमी गति)-यदि चींटी की चाल चलोगे तो शाम तक बीस कि. मी. की यात्रा कैसे तय करोगे ?

219. चूड़ियाँ पहनना (कायर होना)-यदि सैनिक भी सीमाओं की रक्षा नहीं कर सकते तो उन्हें चूड़ियाँ पहन लेनी चाहिए।

220. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना(घबरा जाना)-रिश्वत का भेद खलते ही दरोगा के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। 

221. चैन की बंसी बजाना (सुख से रहना)-सब भगवान की कृपा है चैन की बंसी बज रही है।

222. चार दिन की चाँदनी (अस्थायी सुख)-शारीरिक सुंदरता तो चार दिन की चाँदनी है। मानव को अपना व्यवहार अच्छा रखना चाहिए।

223. चटनी बना देना (खूब मारना)-यदि माँ को मेरी गलती का पता लग गया तो वह मार-मार कर मेरी चटनी बना देगी।

224. चोली-दामन का सम्बन्ध होना (अटूट संबंध होना)-राम और श्याम इतने गहरे मित्र हैं कि उनका तो चोली दामन का साथ है।

225. च्यूटी के पर निकलना (छोटे व्यक्ति का घमंड करना)-कालेज में प्रवेश लेते ही धनी घरों के बच्चे ही नहीं, च्यूटियों के भी पर निकल आते हैं।

226. चुल्लू भर पानी में डूब मरना (शर्म महसूस करना)-इतने अच्छे छात्र होकर चोरी करते हो। तुम्हें तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।

227. चूल्हा न जलना (हालत खराब होना)-उसके घर में तो अब दोनों वक्त चूल्हा भी नहीं जलता।

228. छटी का दूध याद आना (भारी संकट में पड़ना)-मैं तुझे इतना मारूँगा कि तुझे छठी का दूध याद आ जाएगा।

229. छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना)-महाराणा प्रताप ने अनेक बार मुगल सेना के छक्के छुड़ा दिए।

230. छाती पर मूंग दलना (जान-बूझकर दुख देना)-पिता ने चोर पुत्र को घर से बाहर निकाल दिया, फिर भी वह उसी मोहल्ले में घर के सामने रहकर उनकी छाती पर मूंग दल रहा है।

231. छप्पर फाड़कर देना (बिना प्रयास के संपत्ति मिलना)-अरे ! प्रभु को दोष मत दो। वह तो इतना कृपालु है कि जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है।

232. छाती पर साँप लोटना (बहुत ईर्ष्या होना)-अशोक को प्राचार्य बनते देखकर मेरी छाती पर साँप लोटने लगा।

233. छाती पर पत्थर रखना (चपचाप आपत्ति सहन करना)-कुसुम ने तो उसी दिन छाती पर पत्थर रख लिया था जब उसके पति ने दूसरी शादी कर ली थी।

234. छुपा रुस्तुम (देखने में साधारण, वास्तव में गणी)-वह लेखक तो छुपा रुस्तुम निकला उसने तो एक वर्ष में ही दो सौ से अधिक कहानियाँ लिख डालीं।

235. जी चुराना (मेहनत या परिश्रम से बचना)-अच्छे अंक लाने हैं तो अधिक पढ़ने से जी मत चुराओ।

336. जंगल में मंगल होना (निर्जन स्थान में आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करना)-निर्जन रास्ते में होटल तथा धर्मशाला बन जाने से आने-जाने वाले यात्रियों के लिए जंगल में मंगल हो गया।

237. जूती चाटना (खुशामद करना)-परिश्रम न करने वाले कर्मचारी अधिकारियों की जूतियाँ चाटते रहते हैं।

238. जहर का घूँट पीना (अन्याय सहन करना)-जीवन में अनेक बार बिना गलती के सुनना पड़ता है और ज़हर का घूँट पीना पड़ता है।

239. जान के लाले पड़ना (गंभीर संकट में होना)-अगर अभी से बीमारी का इलाज शुरू न किया तो जान के लाले पड़ जाएँगे।

240. जान पर खेलना (स्वयं को संकट में डालना)-वीर पुरुष अन्याय से लड़ने के लिए अपनी जान पर भी खेल जाते हैं।

241. जिंदगी के दिन पूरे करना (मुसीबत में गुजारा करना)-इस गरीबी में जीवन क्या जीना ? जैसे-तैसे जिंदगी के दिन पूरे कर रहा हूँ।

242. जी भर आना (हृदय द्रवित होना)-छोटे से बालक को भीख माँगते देखकर मेरा जी भर आया। 

245. जुगत लगाना (जोड़-तोड़ करना)-तुम काम-धाम तो कुछ करते नहीं बस केवल जुगत लगाते रहते हो

244. झख मारना (व्यर्थ समय नष्ट करना)-सारे दिन यहाँ से वहाँ झख मारते फिरते हो। पढ़ाई क्यों नहीं करते हो?

245, झोली भरना (अपेक्षा से अधिक दे देना)-हे प्रभु ! तुम्हारा धन्यवाद। हमने तो केवल पेट भरने के लिए अन्न माँगा था। आपने तो हमारी झोली ही भर दी।

246. टका-सा जवाब देना (साफ इन्कार करना)-आजकल नौकर कुछ करना ही नहीं चाहते। टका-सा जवाब दे देते हैं।

247. टस से मस न होना (किसी भारी चीज का तनिक भी न हटना)-लंका के सैनिकों ने सारी शक्ति लगा दी किंतु हनुमान की पूँछ टस से मस न हुई।

248. टेक निभाना (अपनी प्रतिज्ञा पूरी करना)-मैंने राम को पढ़ाने की प्रतिज्ञा की है इसलिए मुझे अपनी टेक निभानी चाहिए।

249. टोपी उछालना (अनादर करना)-लड़के वाले प्रायः दहेज लेने के लिए लड़की वालों की टोपी उछाल देते हैं। 

250. टाँग अड़ाना (हस्तक्षेप करना)-जब दो व्यक्ति बात कर रहे हों तो बीच में टाँग नहीं अड़ानी चाहिए।

251. टेढ़ी उँगली से घी निकालना (शक्ति से कार्य सिद्ध करना)-यदि तुम श्याम से अपना कार्य कराना चाहते हो तो सख्ती से काम लो, बिना टेढ़ी उँगली किए घी नहीं निकलेगा।

252. टूट पड़ना (सहसा आक्रमण कर देना)-कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिक घुसपैठियों पर बाज की तरह टूट पड़े।

253. टेढ़ी खीर (कठिन काय)-अच्छे विद्यालय में प्रवेश पाना आजकल टेढ़ी खीर हो गया है। 

254. ठेस लगना (दुख होना)-रेखा ने जब अपना पति खो दिया तो उसे बड़ी ठेस लगी। 

255. ठंडा पड़ना (क्रोध शांत करना)-जब गुरुजी ने शिष्य को समझाया तब वह किसी प्रकार ठंडा पड़ा।

256. ठोकर खाना (हानि उठाना)-अपना कार्य स्वयं करो, ठोकर खाकर ही व्यक्ति कुछ सीखता है। गोपाल है।

257. ठन-उन गोपाल (बिल्कुल कंगाल)-तुम राम से किस बात की आशा करते हो वह तो बिल्कुल ठन-ठन

258. ठिकाने लगाना (दफनाना या जलाना)-पुत्र ने पिता की लाश को ठिकाने लगाया।

259. ठिकाने आना (ठीक स्थान पर आना)-जब तक श्याम पर दो बार जुर्माना नहीं हुआ तब तक उसका दिमाग ठिकाने नहीं आया।

260. डींगें हाँकना (अपनी प्रशंसा स्वयं करना)-सच्चा वीर कर्म करके दिखाता है केवल डींगें नहीं हाकता। 

261. डंका बजाना (प्रभाव जमाना)-अंग्रेजों ने भारत में डंका बजाकर राज किया।

262. डूब मरना (लज्जा के कारण मुँह न दिखाना)-तुमने तो परिवार की इज्जत ही खो दी तुम्हें तो डूब मरना चाहिए।

263. डूबते को तिनके का सहारा देना (संकट में फंसे व्यक्ति को सहायता देना)-इस संकट के समय में तुम्हारा साथ मेरे लिए डूबते को तिनके का सहारा है।

264.ढर्रे पर आना (रास्ते पर आना)-राम अब धीरे-धीरे सुधर रहा है लगता है वह ढर्रे पर आ रहा है। 

265 ढेर करना (मारकर गिराना)-भारत के सैनिकों ने घुसपैठियसों को ढेर कर दिया। 

266 तारे गिनना (व्यग्रता से प्रतीक्षा करना)-सुबह मेरे पिताजी ने आना था मैं रात भर तारे गिनता रहा। 

267. तितर-बितर हो जाना (बिखर कर भाग जाना)-बम की खबर फैलते ही सारी भीड़ तितर-बितर हो गई।

268. तिल का ताड़ बनाना (छोटी-सी बात को बढ़ा देना)-जो सही बात है वही बोलो तिल का ताड़ मत बनाओ।

269. तिल रखने की जगह न होना (अधिक भीड़ होना)-बस में इतनी भीड़ थी कि तिल रखने की जगह भी नहीं थी।

270. तूती बोलना (बहुत प्रभाव होना)-स्वामी विवेकानंद के भाषण के बाद पूरे यूरोप में उनकी तूती बोल उठी। 

271. तू-तू मैं-मैं (आपसी झड़प)-मेरे पड़ोसी पति-पत्नी में प्रतिदिन तू-तू मैं-मैं होती रहती है।

272. थूक कर चाटना (वचन से मुकर जाना)-मैं उसका विश्वास नहीं कर सकता क्योंकि उसे थककर चाटने की आदत है।

273. थाली का बैंगन (हानि-लाभ देखकर पक्ष बदलने वाला/सिदधांतहीन व्यक्ति)-रमेश तो थाली का बैंगन है उसे तो जहाँ अधिक धन मिलेगा वह उसी की गवाही देगा।

274. दर-दर भटकना/दर-दर फिरना (जगह-जगह भटकना)-आज के युग में पढ़े-लिखे डिग्री लेकर दर-दर भटक

275. दाँत पीसना (क्रोध करना)-होली पर गुब्बारा लगते ही मैं दाँत पीसकर रह गया।

276. दाँत खट्टे करना (हराना, नीचा दिखाना)-भारतीय सैनिकों ने युद्ध के मैदान में पाक सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए।

277. दाँत काटी रोटी होना (घनिष्ठ मित्रता होना)-रेखा मेरी सहायता अवश्य करेगी। उसकी मेरी दाँत काटी रोटी है।

278. दाँतों तले उँगली दबाना (हैरान होना)-सचिन की आतिशी पारी देखकर दर्शकों ने दाँतों तले उंगली दबा ली।

279. दाई से पेट छिपाना (जानकार से ही भेद छिपाना)-अरे दाई से पेट छिपाते हो, मैं तो तुम्हारी रग-रग जानता हूँ।

280. दाने-दाने को तरसना (बहुत अभावग्रस्त होना)-बुरा समय आने पर व्यक्ति दाने-दाने को तरस जाता

281. दाल न गलना (सफल न होना)-छात्र ने नकल करने का प्रयास तो किया किन्तु उसकी दाल न गल सकी।

282. दाल-भात में मूसलचंद (व्यर्थ का हस्तक्षेप)-जब तुम्हारा इस कार्य से कोई लेना-देना नहीं है तो क्यों दाल-भात में मूसलचंद बने हुए हो ?

283. दाल में काला होना (गडबड होना)-सेठ जी आजकल दुकान पर नहीं आते अवश्य दाल में कुछ काला है।

284. दाहिना हाथ (बहुत बड़ा सहायक)-महाराष्ट्र में शिव सेना भारतीय जनता पार्टी का दाहिना हाथ बनकर चुनाव लड़ी। 

285. दिन दूनी रात चौगनी उन्नति करना (लगातार प्रगति करना)-प्रभु कृपा से व्यापार में मेरी दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति हो रही है।

286. दिन फिरना (भाग्य पलटना)-राधा बरे दिनों की चिंता मत करो। दिन फिरते देर नहीं लगती।

287. दुनिया से कूच कर जाना (मर जाना)-जो भी व्यक्ति इस संसार में आया है उसे एक न एक दिन दुनिया से कूच कर जाना है।

288. दुम दबाकर भागना (डर कर भाग जाना)-पुलिस के आते ही चोर दुम दबाकर भाग गया।

289. दूय का दूध पानी का पानी (ठीक-ठीक न्याय करना)-सच्चे न्यायाधीश ने एक ही पेशी में दूध का, पानी का पानी कर दिया।

290. दूध के दाँत न टूटना (बहुत अनुभवहीन होना) -यह नवागंतुक मुझे क्या सिखलाएगा अभी तो इसके दर के दाँत भी नहीं टूटे।

291. दूर के टोल सुहावने लगना (दरी या अपरिचय के कारण वस्तु का आकर्षक लगना)-मैं सोचता था दिल्ली म सुख हा सुख है परन्तु दिल्ली आने पर समझ आ गया दूर के ढोल सुहावने लगते है।

292. दो दिन का मेहमान (मृत्य निकट होना)-रोगी की तेज चलने वाली सांसें बता रही हैं कि वह दो दिन का मेहमान है।

293. दो नावों पर पैर रखना (एक साथ दो लक्ष्य को पाने की चेष्टा करना)-इस वर्ष न तो मैं एम. ए. का सका, न बी. एड.। दो नावों पर पैर रखने का यही परिणाम होता है।

294. दौड़-धूप करना (खूब प्रयास करना)-बहुत दौड़-धूप करके मुझे विद्यालय में प्रवेश मिल पाया।

295. दो टूक जवाब देना (साफ-साफ उत्तर देना)-आजकल बच्चे माँ-बाप की भी नहीं सुनते। कुछ पूछो तो दो टूक उत्तर देते हैं।

296. दाँत तोड़ना (बुरी तरह पीटना)-जबान संभाल कर बोलो, वरना मैं तुम्हारे दाँत तोड़ दूंगा। 

297. दृष्टि फेरना (अप्रसन्न होना)-न जाने कसम से क्या अपराध हो गया कि शकुंतला ने उससे दृष्टि फेर ली।

298. धज्जियाँ उड़ाना (किसी की निंदा, आलोचना करना)-आज संसद में सत्ता तथा विपक्ष दोनों गुटों के नेताओं ने एक-दूसरे की धज्जियाँ उड़ाने का प्रयास किया।

299. धूल फाँकना (व्यर्थ में भटकना)-शिक्षित नवयुवक को धूल फाँकते देखकर मन में बहुत पीड़ा होती है।

300. धाक जमाना (प्रभाव जमाना)-लाल बहादुर शास्त्री ने अपने गुणों से भारतीय जनता के हृदय पर धाक जमा रखी थी।

301. धरती पर पाँव न पड़ना (अभिमान में रहना)-जब से रामू की लॉटरी निकली है उसके पाँव धरती पर नहीं पड़ रहे हैं।

302. धूप में वाल सफेद न करना (बहुत अनुभवी होना)-छात्र द्वारा झूठे बहाने बनाने पर अध्यापक ने कहा कि तुम मुझे गुमराह मत करो में सब जानता हूँ। मैंने यूँ ही धूप में बाल सफेद नहीं किए।

303. नमक-मिर्च लगाना (छोटी-सी बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना)-छोटे-छोटे समाचार-पत्र मामली सी घटनाआ को नमक-मिर्च लगाकर छापते हैं ताकि आकर्षण में आकर लोग उनका समाचार-पत्र खरीदें।

301 नजरों से गिरना (अप्रिय होना)-श्याम चोरी करते पकडा गया तो वह अपने माता-पिता की नज़रा स गिर गया।

305. नमक हलाल करना (विश्वास पर खरा उतरना)-नौकरानी ने अपनी मालकिन की जान बचाकर उसका नमक हलाल किया।

306. नाक कटना (इज्जत जाना) दुराचारी पुत्र के कारण उसके पिता की नाक कट गई। 

307. नाक में दम करना (तंग करना, सताना)-शरारती छात्रों ने नई अध्यापिका की नाक में दम कर दिया है।

308. नाकों चने चबाना (संकट में डालना, खूब छकाना)-कारगिल में भारतीय सेना ने घुसपैठियों को नाकों चने चबवा दिए।

309. नानी याद आना (मुसीबत देखकर घबरा जाना)-अचानक शेर को सामने देखकर स्मिता को नानी याद आ गई।

310. नानी मरना (घबरा जाना)-फन उठाये साँप को देखकर रेखा की नानी मर गई। 

311. नाक रखना (सम्मान बनाए रखना)-सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट मैचों में पचास शतक बनाकर भारत की नाक रख ली।

312. नाक पर मक्खी न बैठने देना (अपने ऊपर कोई परेशानी न आने देना)-सचिन मैच फिक्सिंग में किसी का साथ नहीं देगा क्योंकि वह अपनी नाक पर मक्खी नहीं बैठने देगा।

313. नाक-भी चढ़ाना (घृणा प्रकट करना)-मेरी बेटी दूध में मलाई देखकर नाक-भौं चढ़ाने लगती है। 

314. नाम कमाना (सम्मान प्राप्त करना)-मल्लेश्वरी ने ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक प्राप्त करके खूब नाम कमाया।

315. नाम पर धब्बा लगाना (कलंक लगाना)-हमें अनैतिक कार्य करके अपने नाम पर धब्बा नहीं लगाना चाहिए।

316. निन्यानवे के फेर में पड़ना (धन संग्रह के चक्कर में रहना)-पहले राम समाज-सेवा करता था जब से निन्यानवे के चक्कर में पड़ा दुनिया ही भूल गया।

317. नींव डालना (आरंभ करना)-पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण करके भारत-पाक शत्रुता की नींव डाल दी।

318. नीचा दिखाना (अपमानित करना)-किसी-किसी व्यक्ति को पैसे का बड़ा घमंड होता है वह दूसरों को नीचा दिखाने का प्रयास करता है।

319. नौ-दो ग्यारह होना (दौड़ जाना)-पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गए। ।

320. नाक में नकेल डालना (नियंत्रण में करना)-आजकल हमारे विद्यालय में प्राचार्य ने स्कूल से भागने वाले छात्रों की नाक में नकेल डाल दी है।

321. पगड़ी उठालना (अपमानित करना)-दुष्ट व्यक्ति को तो दूसरे व्यक्तियों की पगड़ी उछालने में ही आनन्द आता है।

322. पत्थर की लकीर (पक्की बात)-यदि रेखा ने तुम्हारा साथ देने का वायदा किया है तो वह अवश्य पूरा करेगी उसकी बात को पत्थर की लकीर समझो।।

323. पत्थर का कलेजा होना (कठोर हृदय होना)-तुम्हारा कलेजा तो पत्थर का है जो बच्चे के रोने पर भी नहीं पिघल रहा है।

324. पर निकलना (स्वच्छंद होना)-छात्रावास में जाते ही छात्रों के पर निकल आते हैं। 

325. पहाड़ टूट पड़ना (भारी कष्ट आ पड़ना)-संजय गाँधी की मृत्यु से इंदिरा गाँधी पर पहाड़ टूट गया था। 

326. पाँव उखड़ना (हार जाना)-भारतीय फौज के समक्ष पाक सेना के पैर उखड़ गए। 

327. पाँव भारी होना (गर्भवती होना)-राधा के पाँव भारी हैं हमें उसका ध्यान रखना चाहिए। 

328. पानी का बुलबुला (क्षणिक जीवन)-यह जीवन पानी का बुलबुला है। इस पर घमंड नहीं करना चाहिए। 

329. पानी-पानी होना (लज्जित होना)-चोरी का भेद खुलते ही राधा पानी-पानी हो गई।

330. पाप कटना (छुटकारा मिलना)-चलो यह दुष्ट इस कालोनी से चला गया। हमारा सबका पाप कट गया।

331. पारा उतरना (क्रोध शांत होना)-पहले अध्यापक का पारा उतरने दो फिर पिकनिक की बात करेंगे। 

332. पाला पड़ना (वास्ता पड़ना)-तुम तभी सुधरोगे जब तुम्हारा पाला किसी शक्तिशाली से होगा। 

333. पीट दिखाना (हार कर भागना)-वीर योद्धा रण-क्षेत्र में मर सकते हैं किन्तु पीठ नहीं दिखा सकते। 

334. पेट में दाढ़ी होना (बहुत चालाक होना)-तुम उसे भोली मत समझना उसके पेट में दाढी है। 

335. पेट में चूहे दौड़ना (भूख लगना)-बारह बजते ही छात्रों के पेट में चूहे दौड़ने लगते हैं। 

336. पोल खुलना (भेद खुलना)-चोरी करते पकड़े जाने पर माया की पोल खुल गई। 

337. पौ बारह होना (खूब मौज करना)-आजकल पुलिस की नौकरी में पौ बारह है।

338. पेरों तले से जमीन खिसकना (होश उड जाना)-अपने घर की चोरी के समाचार से सिपाही के पैरों तले से जमीन खिसक गई।

339. फूला न समाना (अति प्रसन्न होना)-मेरी नौकरी का समाचार सुनते ही मेरे माता-पिता फूले नहीं समा रहे थे।

340. फूंक-फूंक कर कदम रखना (सोच-समझ कर कार्य करना)-एक बार हानि होने के बाद में तो फूंक-फॅक कर कदम रखता है।

341. फूटी आँख न सहाना (कतई अच्छा न लगना)-सीता को गीता फूटी आँख नहीं सुहाती। 

342. बल्लियों उछलना (बहुत प्रसन्न होना)-प्रथम आने के समाचार से अंकिता बल्लियों उछलने लगी। 

343. बगुला भगत (कपटी और पाखंडी व्यक्ति) आजकल के साधु बगुला भगत हैं उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

344. बगलें झाँकना (निरुत्तर होना)-अध्यापक दवारा प्रश्न पूछते ही कुसुम बगलें झाँकने लगी। 

345. बांछें खिल जाना (प्रसन्न होना)-अलका के एम. बी. बी. एस. में प्रवेश से उसके माता-पिता की बांछें खिल गई।

346. बाल-बाल बचना (मुश्किल से बचना)-आज तो मैं गाड़ी के नीचे आने से बाल-बाल बचा। 

347. बाएँ हाय का खेल (बहुत ही आसान काम)-रेखा द्वारा लोक-नृत्य कराना बाएं हाथ का खेल है। 

348. बात का घनी होना (वायदे का पक्का होना)-राजा दशरथ अपनी बात के धनी थे। 

349. बाग-बाग होना (प्रसन्न होना)-बिटिया के प्रथम आने पर मैं बाग-बाग हो गया।

550. बीड़ा उठाना (चुनौती स्वीकार करना)-आजकल सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार दूर करने का बीड़ा उठाया है।

351. भंडा फोड़ना (भेद खोलना)-विभीषण ने राम के समक्ष लंका का भंडा फोड़ दिया। 

352. भाड़ झोंकना (व्यर्थ समय नष्ट करना)-छात्रो कछ पढ़ लो सारे दिन भाड़ झोंकते रहोगे।

358. भीगी बिल्ली बनना (भय के कारण दबकर रहना)-कोतवाल जनता के समक्ष तो दहाडता है किन्तु घर में भीगी बिल्ली बना रहता है।

354. मक्खियाँ मारना (बेकार बैठना)-सारे दिन मक्खियाँ मारने से अच्छा है कि कुछ काम सीख लो। 

355. माथा ठनकना (बाई की आशंका होना)-घर से धुआँ निकलते देखकर मेरा माथा ठनक गया। 

356. मारा-मारा फिरना (इधर-उधर भटकना)-आजकल छात्र अच्छे कालेज में प्रवेश हेत मारे-मारे फिरते हैं। 

357, माथे पर बल पड़ना (नाराज़ होना)-मुझे देखते ही तुम्हारे माथे पर बल क्यों पड़ जाते हैं ?

358. मिट्टी का माधो (बहुत ही मुख)-अजय शंकर से क्या सलाह लेना ? वह तो निरा मिट्टी का माधो है।

359. मिट्टी खराब करना (बुरी हालत करना)-नालायक संतान माता-पिता की मिट्टी खराब कर देती है।

360. मिट्टी के मोल बिकना (सस्ता बिकना)-आजकल आलू मिट्टी के मोल बिक रहे हैं। 

361. मुँह में कालिख पोतना (कलंकित करना)-आवारा लड़के अपने कारनामों से माँ-बाप के मुँह पर कालिख पोत देते हैं।

362. मुँह में पानी भर आना (ललचाना)-ठंडे-ठंडे रसगुल्ले देखकर मेरे मुँह में पानी भर आता है। 

363. मुंह फेरना (उपेक्षा करना)-जब से राजू की नौकरी छूटी है लोगों ने उससे मँह फेर लिया है।

364. मुँह उतरना (अपमानित अनुभव करना)-परीक्षा फल सुनते ही रेखा का मुँह उतर गया।

365. मुंह की खाना (पराजित होना)-पाकिस्तान ने 1965 तथा 1971 के युद्ध में भारतीय सेना से मुह का खाई है।

366. मुंह की बात छीन लेना (मन की बात कह देना)-मैं तो पहले ही वैष्णो देवी के दर्शन हेतु जाना चाहता था। अब तुमने भी यही बात कह कर मेरे मुँह की बात छीन ली।

367. मुंह तोड़ जवाब देना (बदले में करारी चोट करना)-भारतीय सैनिक सदैव पाक सैनिकों को मुंह ताड़ जवान देते हैं।

368. मुट्ठी में होना (वश में होना)- मृत्यु तो भीष्म पितामह की मुट्ठी में थी।

369. मुट्ठी गर्म करना (रिश्वत देना)- आजकल कार्यालयों में मुट्ठी गर्म किए बिना कार्य होता ही नहीं है। 

370. रफूचक्कर होना (भाग जाना)-पुलिस को देखते ही चोर रफूचक्कर हो गए। 

371. रंग उड़ना (घबरा जाना)-घर का ताला टूटा देखकर मेरे चेहरे का रंग ही उड़ गया। 

372. रंग चढ़ना (असर होना)-आजकल रामू पर भी शहर का रंग चढ़ने लगा है।

373. रंग में भंग पड़ना (खुशी में बाधा पड़ना)-गाने की महफिल में अध्यापक के आने से रंग में भंग पड़ गया।

574. रँगा सियार होना (धोखा देने वाला)-प्रेम की चिकनी-चुपड़ी बातों में न आना। वह तो रँगा सियार है।

375. राई का पहाड़ बनाना (छोटी-सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना)-अरी अनीता ! बात तो कुछ भी नहीं थी तुमने व्यर्थ ही राई का पहाड़ बना दिया।

376. रोड़ा अटकाना (बाधा डालना)-अपना कार्य करो दूसरों के कार्य में रोड़े मत अटकाओ।

377. लकीर का फकीर होना (प्राचीन परंपराओं को सख्ती से मानने वाला)-लकीर के फकीर मत बनो। कुछ कार्य अपनी बुद्धि से भी कर सकते हो।

378. लकीर पीटना (रूढ़ियों का अंधे होकर पालन करना)-समय के साथ इन्सान को बदल जाना चाहिए। लकीर पीटने का कोई लाभ नहीं।

379. लंबी-चौड़ी हाँकना (बड़ी-बड़ी बातें करना)-दिनेश करता कुछ नहीं है। बस लंबी-चौड़ी हाँकता रहता है। 

380. लटट होना (मोहित होना)-सीता जी स्वयंवर में राम जी पर लट्र हो गई थीं।

381. लहू का चूंट पीकर रह जाना (विवशता से अपमान सहना)-भरी कक्षा में छात्र द्वारा जवाब देने पर अध्यापक लहू का चूंट पीकर रह गया।

382. लाल-पीला होना (क्रोध करना)-जरा-सी बात पर लाल-पीला होने की आवश्यकता नहीं है. शान्ति से काम लो।

383. लुटिया डबोना (कार्य बिगाड़ देना)-दुर्योधन को शकुनि ने उलटी सलाह देकर उसकी लुटिया इबो दी।

384. लेने के देने पड़ना (लाभ की बजाय हानि होना)-नयी दुकान खोली है सोच समझकर चलो कहीं लेने के देने न पड़ जाएँ।

385. लोहा मानना (दूसरे का प्रभाव स्वीकार करना)-सभी लोग धनुष विद्या में अर्जुन का लोहा मानते हैं। 

386. लोहे के चने चबाना (बहुत संघर्ष करना)-भारतीय सैनिकों ने घुसपैठियों को लोहे के चने चबवा दिए। 

387. विष घोलना (बुराई का प्रचार करना)-कुछ लोगों का कार्य ही समाज में विष घोलना है। 

388. विष उगलना (ट्वेषपूर्ण बातें कहना)-शकुनि पाण्डवों के विरुद्ध विष उगलता रहता था। 

389. वेद-वाक्य मानना (पूरी तरह विश्वास करना)-श्रेष्ठ ज्योतिषियों की भविष्य-वाणी वेद-वाक्य होती है। 

390. श्री गणेश करना (आरंभ करना)-किसी भी कार्य का श्रीगणेश करने से पूर्व प्रभु की उपासना करनी चाहिए। 

391. शहीद होना (संघर्ष करते हुए मृत्यु हो जाना)-मेजर विवेक, कारगिल युद्ध में शहीद हो गया। 

392. शिकार होना (वश में होना)-व्यायाम जरूर करना चाहिए अन्यथा अनेक बीमारियों के शिकार हो सकते हो।

393. सब्ज-बाग दिखाना (लोभ दिखाकर बहकाना)-अधिक ब्याज के सब्ज-बाग दिखाकर प्राइवेट कंपनियाँ पैसा लकर भाग जाती हैं।

394. सिर उठाना (विद्रोह करना)-कुछ नेता पार्टी में सिर उठाने वालों को कुचल देते हैं।

395. सिर आँखों पर उठाना (बहुत सम्मान करना)-मैच जीतने पर सचिन को जनता ने सिर आँखों पर उठा लिया।

396. सिर ओखली में देना (जान बूझकर मुसीबत मोल लेना)-पैदल भारत-भ्रमण की योजना बनाकर मैंने स्वयं ही ओखली में सिर दे दिया।

397. सिर नीचा करना (अपमानित होना)-तुमने चोरी करके मेरा सिर नीचा कर दिया।

398. सिर पर कफन बाँधना (प्राणों की चिंता न करना) सैनिकों ने सिर पर कफन बांधकर देश की रक्षा की 

399, सिर पर बढ़ाना (जत्यधिक एट देना) कछ छात्र मीठा बोलने से सिर पर चढ़ने लगते हैं।

400. सिर पर पांव रखकर भागना (बहुत तेज भागना) पुलिस कोतवाल को देखकर चोर सिर पर पैर रखकर भाग गये।

401. सिर से पानी गुजर जाना (सहनशीलता समाप्त होना) कृष्ण भगवान ने युद्ध में हथियार न उठाने की कसम खाई थी किंतु जब सिर से पानी उतर गया तो उन्हें चक्र उठाना ही पड़ा।

402. सोने पे सुहागा होना (अच्छी वस्तु का और अधिक अच्छा होना) सचिन पहले से ही श्रेष्ठ बल्लेबाज है अब गेंदबाजी भी अच्छी करता है। यह सोने पर सुहागा हो गया।

403. साँप को दूध पिलाना (दुष्ट की रक्षा करना) साँप को दूध पिलाने का कोई लाभ नहीं, वह तो समय आने पर डस ही लेगा।

404. सांप-छछूंदर की गति होना (दुविधा में होना) तम्हारी तो सांप-छछूंदर की गति हो रही है, शांत मन से फैसला करो विजय तुम्हारी ही होगी।

405. हवा पलटना (समय बदल जाना) भारत पहले खादयान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं था किंतु आज हवा पलट गई हमारे पास खाद्यान्न का काफी भंडार है।

406. हवा से बातें करना (बहुत तेज दौड़ना)-राणा प्रताप का घोड़ा हवा से बातें करता था।

407. हवाई घोड़े पर सवार होना (शीघ्रता करना)-तुम तो हवाई घोड़े पर सवार होकर आई हो। जरा ठहरो, अभी तुम्हारा काम करता हूँ।

108. हवा हो जाना (गायब हो जाना)-जब से प्याज का निर्यात शरू हो गया बाजार से प्याज ही हवा हो गई।

409. हवा का रुख पहचानना (अवसर की आवश्यकता को पहचानना)-अच्छा नेता और वक्ता जनता की हवा का रुख पहचानकर भाषण देता है।

410. हवा लगना (असर होना) शहर में आते ही गाँव के युवकों को भी हवा लग जाती है।

411. हवाई किले बनाना (ऊंची-ऊंची कल्पनाएँ करना)-अरे मुंगेरीलाल सदैव हवाई किले ही बनाते रहोगे अथवा कुछ करोगे भी।

112. हाथ कटाना (निकम्मा होना)-गरीबी में नौकरी छोड़कर मैं अपने हाथ कटा बैठा। 

413. हाथ खाली होना (पैसा न होना) हाथ खाली होने पर मित्र भी साथ नहीं देते। 

414. हाथ फैलाना (मांगना) हमें किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना चाहिए।

415. हाथ मलना (पछताना)-समय रहते परिश्रम करना चाहिए अन्यथा हाथ मलते रह जाओगे। 

416. हाथ धोकर पीछे पड़ना (पीछा न छोड़ना)-शकुनि दुर्योधन को पांडवों से लड़वाने में हाथ धोकर पीछे पड़ा हुआ था।

417. हथेली पर सरसों जमाना (कम समय में अधिक कार्य करना)-तुम तो आते ही हथेली पर सरसों जमाने लो आखिर कार्य करने हेतु कुछ समय तो चाहिए।

418. हाथों-हाथ विक जाना (अतिशीघ्र विक जाना)-बीकानेर की मिठाई हाथों-हाथ बिक जाती है।

419. हक्का-पानी बंद करना (जाति से बाहर कर देना)-अंतर्जातीय विवाह करने पर गाँव वालों ने राधा क परिवार का हुक्का-पानी बंद कर दिया।

420. हक्का-बक्का रह जाना (हैरान रह जाना)-अपने ऊपर चोरी का आरोप आते सनकर सुनील हक्का-बक्का रह गया।

421. हराम की खाना (कुछ काम न करना)-बठे-बैठे हराम की खाते हो कछ काम करते क्या नहीं ।

422. हाथ पर हाथ रखकर बैठना (बिना कार्य के बैठे रहना)-कछ कार्य करो अन्यथा हाथ पर हाथ रखकर बैठोगे तो खाओगे कहाँ से ?

423. हाथ साफ करना (चुरा लेना)-नज़र बचाकर चोर आभूषण पर हाथ साफ कर गया। 19. हाथ-पाँव फूल जाना (घबरा जाना)-आयकर अधिकारी का छापा पड़ते ही दुकानदार के हाथ-पाँव फल गए।

424. हाथ-पाँव मारना (प्रयास करना)-सभी आवेदक नौकरी के लिए हाथ-पाँव मारते हैं किन्तु सफलता किसी-किसी को ही मिलती है।

425. हाथों के तोते उड़ना (अचानक घबरा जाना)-आयकर अधिकारी को दल-बल के साथ आया देखकर कपिल के हाथों के तोते उड़ गए।

426. हाथ को हाथ न सूझना (घना अंधेरा होना)-बरसात में बिजली भी चली जाए तो हाथ को हाथ नहीं सूझता।

 427. हथियार डालना (हार मान लेना)-पाक सैनिकों ने भारतीय फौज के सम्मुख हथियार डाल दिए।