खेलकूद के महत्त्व के बारे में छोटे भाई को।


नारायणी कन्या-पाठशाला, 

पटना सिटी

17-1-1992 


प्रिय सजीत

शुभाशीर्वाद। 

आज मुझे पिताजी का एक पत्र मिला जिसमे उन्होंने तुम्हारे दिनानुदिन गिरते स्वास्थ्य पर

चिन्ता व्यक्त की है। उनके पत्र से ऐसा मालूम पड़ता है तुम इन दिनों किताबी कीडा बन गय हो। मैं भी महसूस करती हूँ कि जीवन में प्रगति के स्वर्णिम शिखर पर आरूढ़ होने के लिए परिश्रम परमावश्यक है-अध्ययन में बना आवश्यक है. किन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं कि यह सब स्वास्थ्य की कीमत पर हो। स्वास्थ्य की आहति देकर उत्तुम परीक्षाफल प्राप्त करने का कोई अर्थ नहीं।

तुम तो जानते हो कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क सम्भव है। स्वामी विवेकानन्द ने 'अपने नौजवान मित्रों के नाम' जो पुस्तक लिखी है, उसे तुम अवश्य पढना। उसमें उन्होंने लिखा है कि यदि तुम फुटबॉल नहीं खलते, तो गीता के मर्म को भी अच्छी तरह नहीं समझ सकते।

अतः यदि तुम अध्ययन द्वारा वैयक्तिक उन्नति, राष्ट्र की सेवा तथा समाज का उत्थान चाहते हो, तो सबसे पहले अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दो। अच्छे स्वास्थ्य के लिए शारीरिक श्रम आवश्यक है और इसके लिए तुम्हें कोई-न-कोई खेल खेलना ही चाहिए।

मैं आशा करती हूँ कि तुम मेरा कहना मानकर अपनी और हम सबकी भलाई करोगे।

तुम्हारी दीदी

संगीता 

पता-संजीत कुमार,

द्वारा प्राचार्य, आर0 मित्र माध्यमिक विद्यालय, 

देवघर-814112