भारत में अणुशस्त्र-निर्माण के बारे में विदेशी मित्र (पेन फ्रेंड) को।
माध्यमिक विद्यालय,
समरथा,
वाया-दलसिंहसराय
दरभंगा (बिहार), भारत
5-1-1992
प्रिय जॉन,
आपका पत्र मिला। आपने अपने पत्र में युद्ध-सम्बन्धी अमेरिकी नीति पर थोड़ा प्रकाश डाला है। अमेरिकी साहित्य पढ़कर मुझे ऐसा लगता है कि वहाँ की युवा पाढ़ा आक्रमण और युद्ध के पक्ष में कदापि नहीं है। वह नहीं चाहती कि कोई शक्तिशाली देश दुर्बल देश पर अग्निवृष्टि करे।
आपने यह भी पूछा है कि अणुशल निर्माण के बारे में भारत की युवा पीढ़ी की राय क्या है। जॉन भाई। आप तो जानते हैं कि जिन देशों के पास अणुअल हैं, उन्हा का आज संसार में बोलबाला है। रूस अमेरिका से डरता है, अमेरिका रूस से। जो शक्तिशाली है, उसी के उपदेश का महत्त्व भी होता है। आज जो चीन भारत 19 इतना गरजता है, गुर्राता है, इसका कारण उसकी अणुशक्ति ही है। अतः अपनी अस्तित्व रक्षा के लिए अणुशल का निर्माण अनिवार्य-सा हो गया है और यही कारण है कि भारत की युवा पीढ़ी अणुशस्त्रों के निर्माण के पक्ष में है। भारत की नयी पीढ़ी नहीं चाहती कि भारत बेसहारा बनकर संसार की ओर टुकुर-टुकुर ताकता रहे और जब कोई आक्रमण करे, तो दुनिया के सामने 'बचाओ-बचाओ' की गुहार मचाये।
आप अगले पत्र में अपने राष्ट्रपति की नई नीतियों के बारे में लिखने का कष्ट करेंगे। मै उस दिन की प्रतीक्षा विकलता से कर रहा है, जब आप भारत पधारेंगे।
आपका
करुणेश कुमार
पता–मि0 एफ0 जॉन, हम्फी स्ट्रीट,
7/137, स्टार बिल्डिंग, न्यूयार्क, 18 (यू0 एस0 ए0)
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