दर्शनीय स्थल के बारे में छोटे भाई को।


खजांची रोड, 

पटना-800000

6-11-2005 


प्रिय विनोद

शुभाशिष !

आज मैं आगरे से लौटा। इस बार मैं अपने विद्यालय के शिक्षकों एवं छात्रों के साथ पूजावकाश में घूमने निकल गया था। आगरे में कई स्थान ऐतिहासिक महत्त्व के हैं। जैसे-किला, ताजमहल इत्यादि। लेकिन ताजमहल का कहना ही क्या। यह श्रीकृष्ण की कमनीय क्रीड़ाओं की साक्षी यमुना के किनारे खड़ा है। इसे मगल शहंशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए बनवाया था। एल्डुअस हक्सले ने ताज के रूप-रंग के अनुपात-भंग की आलोचना की है. उसे मैंने कभी पढ़ा था। साहिर लुधियानवी की वह नज्म भी मैंने पढ़ी है जिसमें उन्होंने ताज के बारे में लिखा है, "इक शाहंशाह ने दौलत का सहारा लेकर, हम गरीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मजाक !" किन्तु, इसको स्वयं देखकर ये सारी बातें बेतुकी लगीं।

ताज के बारे में बतलाऊँ क्या? संसार में सात आश्चर्यों की बात कौन कहे, यदि दो-तीन आश्चर्य भी होते, तो उनमें यह आसानी से शुमार किया जा सकता था। ताज ! काल के कपोल पर लुढ़की हुई.आँसू की दो बूंदें ! ना, यह तो संगमरमर पर अंकित सनातन नारी के प्रति सनातन पुरुष की प्रेम कविता है। चाँदनी रात में यह और भी आकर्षक मालूम पड़ता है, जैसे मुमताज म्वय शाहजहाँ से मिलने के लिए बनठनकर निकल पड़ी हो।

इस कार्ड में और विशेष क्या लिखू ? मिलने पर और बातें बतलाऊँगा। माताजी को प्रणाम कह देना। पिताजी बम्बई की कृषि-प्रदर्शनी देखकर कब लौटेंगे?

तुम्हारा अग्रज

अशोक कुमार 

पता-श्री विनोद प्रसाद सिंह

ग्राम तथा पो0-नयागाँव-851215 

टोला–तिनखुट्टी, जिला-मुंगेर