अन्त्योदय 
Antyoday

अन्तोदय का शाब्दिक अर्थ है, अन्त्य का उदय। अन्त्य से तात्पर्य समाज के उस उपेक्षित वर्ग से है, जो समाज में हर दृष्टि से सबसे अंतिम है, सबसे नीचे है।  अस्पृयश्ता और गरीबी, विवशता और पिछड़ेपन से घिरी अधोगत जनता को कर में लाने का प्रयास अन्त्योदय-योजना के अंतर्गत करने की योजना है। अन्त्योदय योजना का अर्थ है, आर्थिक दृष्टि से सबसे अंतिम आदमी का उन्नयन। इसका उद्देश्य प्रत्येक गाँव के गरीब-से-गरीब परिवारों को सहायता देना है। इसके परिणामस्वरूप निम्नतर आर्थिक जीवन जीनेवाले लोग भी गरीबी के दानव से मुक्त होकर मानवीय गरिमा के अनुरूप जी सकें, तो यही अन्त्योदय की परिकल्पना की सार्थकता होगी। आजादी के उनचालीस वर्षों के गुजर जाने के बाद भी विशाल सामाजिक वर्ग ने सामाजिक व्यवस्था में प्रकाश की किरणें नहीं देखी हैं और उन्नति के धवल मार्ग पर चलना नहीं सीखा है। उसी विराट् उपेक्षित समुदाय को मनुष्य कहलाने का अधिकार देने की दिशा में अन्त्योदय-योजना एक साहसपूर्ण प्रयास है।

महात्मा गाँधी हमेशा समाज के उस अंतिम आदमी के उत्थान की बात करते थे, जिसमें स्वयं विकसित होने की सामर्थ्य नहीं होती। वे मानते थे कि समाज में सबसे अधिक ध्यान उन व्यक्तियों की ओर देना चाहिए जो सबसे ज्यादा गरीब, उपेक्षित और शोषित हैं। निश्चय ही भारत जैसे अल्पविकसित देश में कुल जनसंख्या का 50 प्रतिशत भाग गरीबी की रेखा से भी नीचे है। आजादी की लहर और स्वातंत्रयोत्तर परिवेश के विकास कार्यक्रमों से भी भारतीय जनसमूह के जो अन्त्यज अप्रभावित रह गये हैं, उन सबको मानवीय सामाजिक धरातल पर अवस्थित करने का लक्ष्य अन्त्योदय-योजना के सामने है। गरीबी की रेखा से भी नीचे जीवन-यापन कर रहे लोगों का उत्थान ही इस कार्यक्रम का केन्द्रीय संकल्प है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है समाज के निर्धनतुम व्यक्ति को गरीबी की रेखा से ऊपर उठाना। ऐसे सभी भारतवासियों की आर्थिक पुनःस्थापना का संकल्प निश्चय ही राष्ट्र की एक महनीय आवश्यकता की पूर्ति की दिशा में उठाया गया कल्याणकारी कदम है।

अन्त्योदय-योजना के अंतर्गत गरीबी के दानव के साथ संघर्षरत लोगों को आर्थिक निश्चिन्तता की साँस दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विकास के लिए निरन्तर संघर्षशील एवं आर्थिक सहायता से वंचित लोगों के लिए किया गया यह लाभकारी प्रयास मूलतः महात्मा गाँधी की ही परिकल्पना है। इसीलिए गाँधी-जयन्ती के शुभ दिन 2 अक्टूबर, 1977 को इस योजना का शुभारम्भ राजस्थान में हुआ। कालान्तर में समूचे देश में अनेक स्तरों पर अन्त्योदय-योजना को विस्तार मिला। इस योजना में गरीबी की रेखा से नीचे जीनेवाले परिवारों को जीवन-यापन की सुविधाएँ दिलाने की अन्तरिम कोशिश की जा रही है। राजस्थान में तो अब तक 81 हजार परिवार इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं। अन्त्योदय-कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रत्येक गाँव के पाँच निर्धनतुम परिवारों का चयन कर उन्हें आर्थिक स्वावलम्बन की दिशा में अग्रसर करने की स्पष्ट योजना है। बिहार में लगभग सत्तर हजार गाँव और टोले हैं। प्रत्येक गाँव के पाँच निर्धनतुम परिवार का उन्नयन किया जाय, तो राज्यभर में लगभग साढ़े तीन लाख परिवार लाभान्वित होंगे। इन परिवारों को ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग, गो-पालन, कुकुट-पालन, मत्स्य-पालन इत्यादि व्यवसायों को अपनाकर आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाने की सलाह और सहायता दी जायगी। वस्तुतः अन्त्योदय-योजना राष्ट्राचा विकास की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है, जिस ओर बहुत पहले ही ध्यान आकृष्ट हान चाहिए था।

राष्ट्रव्यापी अन्त्योदय-कार्यक्रम की अपनी बहुमुखी उपादेयता है। यह न केवल अन्त्यजों में उन्नयन का विकासधर्मी प्रयास है, अपितु राष्ट्रीय प्रगति-चक्र को गतिमान बनाए रखने की सुनियोजित परिकल्पना भी है। कोई देश अपनी 50 प्रतिशत जनसंख्या के सहारे समृद्ध और आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। भारत में 50 प्रतिशत जनसंख्या का कोई योगदान राष्ट्रीय विकास में नहीं है और इसका कारण अर्ध-जनसंख्या की गरीबी का निम्नस्तर है। अन्त्योदय-योजना के अन्तर्गत वैसे सभी पददलितों-उपेक्षितों को ऐसी सुविधाएँ प्रदान करने की संकल्पना है, जिसमें गरीबों को अपना रोजगार चलाने की सुविधा प्राप्त हो। भीख मांगने की हीनावस्था से ऊपर उठकर उनकी आर्थिक स्थिति में स्वावलम्बन उत्पन्न हो, यही अन्त्योदय-कार्यक्रम का लक्ष्य है। यह लक्ष्य राष्ट्रीय विकास की गति को तीव्रतर करने में सहायक है और इससे देश की सामान्य अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

अन्त्योदय-योजना को व्यापक समर्थन और प्रशंसा मिली है, क्योंकि इससे भारत की सबसे अधिक निर्धन जनता को मनुष्य कहलाने के अवसर प्राप्त होंगे। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के अनुसार अन्त्योदय कार्यक्रम सम्पूर्ण क्रांति के दूसरे चरण का महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम की महनीयता और उपादेयता का सीधा सम्बन्ध देश की निर्धनतुम जनता के साथ है। गरीबी की जीवनरेखा से भी नीचे रहनेवाले लोगों का उदय राष्ट्र के स्वर्णिम भविष्य की स्पष्ट परिकल्पना है। अन्त्योदय एक ठोस कार्यक्रम है, एक सुसंगठित क्रांति है, एक भविष्यमुखी साहसपूर्ण कदम है।