ग्राम पंचायत 
Gram Panchayat

भारत गाँवों का देश है, किन्तु इसे जो स्वतंत्रता मिली, वह नगरों में ही अटक गयी। बापू के रामराज्य का स्वप्न साकार नहीं होगा, जब तक हम गाँवों को हर प्रकार आत्मनिर्भर न कर दें।

आज चोरी, डकैती, खेत के झगड़ों इत्यादि के कारण जो अभियोग होते हैं, उनके निर्णय में बहुत अधिक समय लगता है, बहुत पैसों की आवश्यकता होती है। भारत-जैसे निर्धन देश में न्याय इतना व्ययसाध्य हो गया है कि कहा नहीं जा सकता। आज के मुकदमे का यह हाल है कि जो जीतता है वह हारता है तथा जो हारता है वह तो मरता ही है। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि यदि घटनास्थल पर ही न्यायव्यवस्था हो जाय, तो हमारे समय, शक्ति और सम्पत्ति-सभी की बचत होगी। इसीलिए भारत सरकार ने लगभग दो हजार जनसंख्यावाले प्रत्येक गाँव में प्रामपंचायत - की व्यवस्था की है।

ग्रामपंचायत में एक मुखिया होता है। ग्रामपंचायत में एक कचहरी होती है, जिसमें एक सरपंच तथा कुछ पंच होते हैं । गाँव के झगड़े जो शहरी अदालत में जाकर भीषण रूप धारण करते हैं, गाँव में ही सुलझ जाते हैं तथा गाँव में वैमनस्य का विषवृक्ष पनप नहीं पाता ।

ग्रामपंचायत की आमसभा के सदस्य ग्राम के सभी वयस्क स्त्री-पुरुष होते हैं। इसकी साधारण बैठक वर्ष में दो बार होती है। वार्षिक बैठक अगहनी फसल के बाद होती है और अर्द्धवार्षिक बैठक चैती फसल के बाद। वार्षिक बैठक में पंचायत के बजट पर विचार-विमर्श हआ करता है तथा अर्द्धवार्षिक बैठक में पंचायत के विभिन्न खों का लेखाजोखा होता है। ये बैठकें बड़ी उपयोगी होती हैं जिनमें पंचायत के वर्षभर के कार्यों की प्रगति पर विचार-विमर्श होता है तथा सामुदायिक जीवन के विकास की दिशा निर्धारित की जाती है, विविध कार्यक्रम बनाये जाते हैं।

ग्रामपंचायत की कार्यकारिणी समिति शासन-सम्बन्धी कार्यों का सम्पादन करती है, जिसका प्रधान मुखिया होता है। गाँवों की स्वच्छता, पेय जल का उत्तुम प्रबन्ध, ग्रामीणों का सर्वांगीण विकास एवं कल्याण-ये सब कार्यकारिणी समिति के उत्तरदायित्व हैं।

ग्रामपंचायत की ग्राम-कचहरी छोटे-छोटी दीवानी तथा फौजदारी मुकदमों का फैसला करती है। इसका प्रधान सरपंच कहलाता है।

इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि ग्रामपंचायत के विविध अंग कितने महत्त्वपूर्ण हैं। प्रामपंचायत का रक्षा-दल गाँव के तरुण सदस्यों से मिलकर बनता है। इसका प्रमुख कार्य चोरों-डकैतों के आतंक से गाँव की रक्षा करना तथा गाँव में शान्ति-व्यवस्था बनाये रखना है।

ग्रामपंचायत की देखरेख में पाठशालाएँ, विद्यालय, औषधालय, पशुचिकित्सालय 6 भा चलाये जाते हैं। कंट्रोल की वस्तुओं तथा सहकारी समितियों से खाद-बीज आदि के प्रबन्ध का भार भी इसपर ही रहता है। ग्राम के अन्य विकास कार्यक्रमसड़क, पुल आदि के निर्माण की व्यवस्था भी यह ही करती है। इस प्रकार, गाँव को पूर्णरूप से आत्मनिर्भर एवं सुखी-सम्पन्न बनाने के लिए यह बहुत सहायता करती है।

हमारे देश में बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं ने भी पंचों की राय से काम किये हैं। महाराजा दशरथ ने पंचो की राय से राम का राज्याभिषेक करना चाहा था तथा मर्यादापुरुषोत्तुम राम भी अपना शासन पंचों की राय से करते थे। प्रेमचन्द की कहानी 'पंचपरमेश्वर' पंचायत के महत्त्व को व्यक्त करती है। अतः यह आवश्यक है कि ग्रामीण जनता जिन व्यक्तियों पर अपनी पूरी आस्था सौंपती है, उन्हें धर्म और न्याय के मार्ग से विचलित न होकर ग्रामराज्य के निर्माण के लिए, तपोवती होना चाहिए, तभी बापू का रामराज्य सफल एवं साकार हो सकेगा।