हमारा राज्य बिहार 
Hamara Rajya Bihar 


हमारे राज्य का नाम है, बिहार। यह नामकरण यहाँ बौद्धों के अनेकत्र विहारस्थापन के कारण पड़ा या वास्तविकता कुछ और है, आप स्वयं विचार कर सकते हैं।

बिहार जगज्जननी सीता की पावन जन्मभूमि है। यह भगवान मर्यादा पुरुषोत्तुम श्रीराम की शिक्षाभूमि है, जहाँ उन्होंने महर्षि विश्वामित्र से बला तथा अतिबला विद्याएँ प्राप्त की थीं। यह जैन एवं बौद्ध धर्मों के प्रवर्तक तीर्थकर महावीर एवं गौतुम बुद्ध को अवतरण-भूमि है । यह सम्राट अशोक की जन्मभूमि एवं शासनभूमि है, जहाँ से उन्होंने समस्त संसार को सत्य एवं अहिंसा का संदेश दिया था। महान कटनीतिज्ञ चाणक्य की देहधारणभूमि है, जहाँ उन्होंने अमर नीतियों का निर्धारण किया था। यह लिच्छिवियों की कार्यभूमि है, जहाँ उन्होंने विश्व के प्रथम गणतंत्र की नींव डाली थी। यह बाणभट्ट की जन्मभूमि है जिन्होंने संस्कृत गद्य-साहित्य को 'कादम्बरी' और 'हर्षचरित' के अमूल्य अवदान दिये थे। संस्कृत के प्रकांड पंडित मंडन मिश्र की जन्मभूमि है, जिनके द्वार पर पिंजरस्थ कीरांगनाएँ वेद के स्वतः प्रमाण परतः प्रमाण का विवेचन किया करती थीं। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की यशोभूमि है, जहाँ से उन्होंने अँगरेजों के भारत-निष्कासन का सूत्रपात किया था। यह डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जन्मभूमि है, जिन्होंने स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में सदियों से दलित भारत का कुशल नेतृत्व किया था। यह राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की पुण्यभूमि है, जिन्होंने ओजस्विनी कविताओं के माध्यम से उद्बोधन का शंखनाद किया था। यह लोकनायक जयप्रकाश की जन्मभूमि है जिन्होंने सम्पूर्ण क्रान्ति का आह्वान किया था।

बिहार! इसे प्रतिभा का ही नहीं, प्रकृति का भी वरदान मिला। देवनदी गंगा इसकी हृदय-नाड़ी की तरह प्रवाहित होकर यहाँ अहरह जीवनदान करती है। गंगा के उत्तर में घाघरा, बूढ़ी गंडक तथा कोशी; गंगा के दक्षिण में सोन, पुनपुन तथा फल्गु और पठारी भाग में दामोदर, बराकर, स्वर्णरेखा, शंख, दक्षिणी कोयल, अजय जैसी उछलती-कूदती मुस्कुराती नदियाँ अपना सर्वस्व लुटाकर यहाँ की भूमि को अभिषिक्त कर रंग-बिरंगी फसलों का उपहार देती हैं।

बिहार! खनिज सम्पदा की दृष्टि से तो कुबेर-भांडार ही है। भारत की बात छोड़िए, शायद ही संसार के किसी देश का कोई राज्य हो, जहाँ खनिज-सम्पत्ति की इतनी विपुलता हो। कोयला, लोहा, बॉक्साइट, अबरख, चूना-पत्थर, मैंगनीज, कायनाइट, चीनी मिट्टी, यूरेनियम, पायराइटन मालूम कितने खनिज-पदार्थ यहाँ उपलब्ध है।

क्षेत्रफल (174 हजार किलोमीटर) की दृष्टि से बिहार देश का नौवा राज्य है, पर देश की आधी खनिज-सम्पदा केवल इसी राज्य से प्राप्त होती है।

बिहार! यहाँ केवल वैद्यनाथधाम, सिंहेश्वरस्थान, कुशेश्वरनाथ, हरिहर क्षेत्र, पावापुरी, बोधगया, बिहारशरीफ और पटना साहेब जैसे प्राचीन धार्मिक तीर्थ ही नहीं हैं, नालन्दा और विक्रमशिला जैसे प्राचीन शिक्षातीर्थों के भग्नावशेष ही नहीं हैं वरन् जमशेदपुर और बोकारो में लोहे और इस्पात के कारखाने, घाटशिला में ताँबे का कारखाना, मुरी में एल्युमिनियम का कारखाना, डालमियानगर, कल्याणपुर, जपला, खेलारी और झींकपानी में सीमेंट के कारखाने, सिन्दरी और बरौनी में रासायनिक खाद के कारखाने, कान्द्रा और कतरास में शीशे के कारखाने, बरौनी में तेलशोधन का कारखाना, राँची में भारी मशीनों का कारखाना; डुमराँव में लालटेन का कारखाना, जमालपुर और मोकामा में रेल-सामानों का कारखाना; मढ़ौरा, सीवान, मोतिहारी, मोतीपुर समस्तीपुर, हसनपुर, मसरख, गोपालगंज, नरकटियागज और बिहटा में चीनी के कारखाने, कटिहार में जूट का कारखाना, मुंगेर में सिगरेट का कारखाना, डालमियानगर में कागज का कारखाना तथा बुड़, मुरह, चक्र परपर चाइबासा और पाकुड़ में लाह के कारखाने-कारखाने नहीं हैं, आधुनिक तीर्थ है।

यह सब तो है। पर, बिहार धनी है, बिहारी निर्धन। यहाँ की जनसंख्या छह करोड़ के लगभग है, पर पचहत्तर प्रतिशत लोग निर्धनता-रेखा के नीचे हैं। बिहार दरिद्र भारत का दरिद्रतुम राज्य है। इसका अतीत इतना गरिमामय, इसकी धरती इतनी समृद्धिमय, फिर भी इतनी दीनता, इतनी अशिक्षा, इतनी बेरोजगारी, इतनी भुखमरी ! आश्चर्य है। यदि हम यहाँ के निवासियों के जीवन-स्तर में कोई परिवर्तन नहीं ला सकते, तो इसे 'बिहार' नहीं, 'सर्वहार' संज्ञा देनी पड़ेगी।