राजीव गाँधी जीवनी 
Rajiv Gandhi Biography

इक्कीसवीं शताब्दी में भारत के अनुप्रवश के संकल्पक, भविष्य के भारत आधारशिला, युवा राजनीति के ध्रुव नक्षत्र श्री राजीव गाँधी संसार के इस सबसे बडे लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री रहे। राजनीति की दलदल में उनकी छवि मानसरोवर में खिले कमल-जैसी शुभ्र और शोभन थी। उनके नेतृत्व में भारत ने आधुनिकीकरण, विज्ञानीकरण और खुशहाली के नए युग में प्रवेश किया। श्री राजीव गाँधी न केवल इस देश के करोड़ों लोगों के हृदयसम्राट् थे, अपितु तीसरी दुनिया की सारी आशाओं के केन्द्र में मौजूद विश्व-चर्चित राजनेता हैं। अपने सौम्य व्यक्तित्व, निडर आचरण, स्पष्ट भाषण और उदात्त संस्कारों के सहारे श्री गाँधी ने भारत के प्रधानमंत्री-पद को नया आयाम प्रदान किया।

भारतीय राजनीति के सबसे ताजे और प्रभावान प्रकाशपुंज श्री राजीव गाँधी का जीवन वाधीनता-संग्रामियों की छत्रछाया एवं प्रधानमंत्री-परिवार की गरिमा के बीच बीता। स्वभावतः देशनिष्ठा और अभिजात संस्कार के गुण उनके व्यक्तित्व के अविभाज्य अंग बन गए। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के नाती और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी के ज्येष्ठ पत्र श्री राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई में हुआ था। उनके पिता श्री फिरोज गाँधी भी स्वाधीनता संघर्ष में जूझ रहे थे। अपने नाना, माँ और पिता द्वारा देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ी जा रही लड़ाई के बीच श्री राजीव गाँधी का बचपन बीता। 15 अगस्त, 1947 को भारत के स्वाधीन होने पर पं0 नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने तो इन्दिराजी के साथ उनके बच्चे भी दिल्ली के तीनमूर्ति भवन में रहने आ गए। दिल्ली में राजीव और उनके छोटे भाई संजय की प्रारंभिक शिक्षा शिवनिकेतन में शुरू हुई। बाद में 1954 ई0 में राजीव गाँधी देहरादून के बेलहाम विद्यालय में पढ़ने गए। वहाँ से आईo एसo सीo की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद राजीव गांधी सीनियर कैम्ब्रिज की पढ़ाई के लिए इंगलैंड चले गए। जनवरी, 1966 में जब उनकी माँ श्रीमती इंदिरा गाँधी को भारत के तीसरे प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई, तब राजीव गाँधी कैम्ब्रिज में पढ़ ही रहे थे। पढ़ाई खत्म कर उन्होंने विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। अपने कैम्ब्रिज के दिनों में ही उनकी मुलाकात इटली की कुमारी सोनिया माइनो से हुई थी। 1968 में राजीव और सोनिया का विवाह हो गया। 1970ई0 में राजीव गांधी को इंडियन एयरलाइंस में विमानचालक की नौकरी मिल गई। उन दिनों राजनीति के साथ उनका सीधा सम्बन्ध नहीं था, लेकिन 23 जून, 1980 को अनुज संजय गाँधी के असामयिक निधन के बाद वे धीरे-धीर राजनीति में आए। जून 1981 में वे अमेठी से भारतीय संसद् के सदस्य निर्वाचित हुए। वे अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव भी बनाए गए। राजनीति और लोक-प्रियता के आकाश में धूमकेतु की तरह छा रहे राजीव गाँधी को अचानक 1984 ई. के उत्तरार्ध में संसार के इस महानतुम देश की बागडोर संभालनी पड़ी। उनकी माँ विश्वनेता श्रीमती इन्दिरा गाँधी 31 अक्टूबर 1984 को अपने ही दो अंगरक्षकों की गोलियों का निशाना बन गई और अत्यंत संकटपूर्ण अस्त-व्यस्त परिस्थितियों में उसी दिन श्री राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री-पद की शपथ दिलाई गई। कई लोगों को आशंका थी कि वे अनुभवहीन होने के कारण शायद असफल हों, लेकिन जितने कौशल के साथ राजीव गांधी ने देश का संचालन प्रारम्भ किया-उससे दिग्गज अनुभवी राजनीतिज्ञों-प्रशासकों की आँखें चौधिया गई। दिसम्बर, 1984 में उन्होंने लोकसभा के चुनाव कराए और समूचे देश में अपने दल का अभूतपूर्व विजय दिलायी। चुनाव में राजीव गाँधी का हाथ मजबूत कर देश ने उसा प्रकार का आचरण किया, जिस प्रकार एक सहायतापेक्षी पिता अपने जवान बेटे का परिवार की सारी बागडोर सौंप देता है। 31 दिसम्बर, 1984 को राजीव गांधी ने नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में नए सिरे से प्रधानमंत्री का पद संभाला। अगला शताब्दी और भावी भारत के बारे में हमारे युवा प्रधानमंत्री के मन में स्पष्ट कल्पनाएँ थीं। वे भारत को कम्प्यूटर-युग में ले जाना चाहते थे और संसार के देशों के बीच इस देश की विशिष्ट छवि बनाने के हिमायती थे। उन्होंने शिक्षा की में नीति की प्रस्तावना की, नए भारत के निर्माण का संकल्प लिया। गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों का अध्यक्ष होने के नाते भी उन्होंने विश्व-स्तर पर अपनी पहचान बनाई। रूस, फ्रांस अमेरिका आदि देशों की यात्रा द्वारा उन्होंने अपने आत्मविश्वास और राजनीतिक कौशल का सिक्का जमाया।

पिघले सोने से रंग, उन्नत ललाट, सुन्दर नासिका, गुलाबी जिल्दवाले अधरों और सुदर्शन व्यक्तित्व के स्वामी राजीव गाँधी भावी भारत की एकमात्र आशा बन गए थे। राष्ट्रव्यापी समस्याओं और अंतरराष्ट्रीय चिन्ताओं के बीच निखरता उनका व्यक्तित्व भारत की युवाशक्ति का ही प्रतिरूप था।