परीक्षा के बाद सहपाठियों के साथ पर्यटन की अनुमति तथा रुपयों के लिए बड़े भाई को।


माध्यमिक विद्यालय,

गोपालगंज

28-1-1992 


परमादरणीय भैया,

सादर प्रणाम !

वार्षिक परीक्षा का आज परीक्षाफल सुनाया गया। मैं अपनी श्रेणी में सर्वप्रथम हुआ-यह जानकर आपको प्रसन्नता होगी। मैं इस वर्ष जनवरी में दसवी श्रेणी में आ जाऊँगा। अभी तक मैं कूपमंडूक बना रहा। जब-जब विद्यालय से टिप जाती रही, आपने उसमें सम्मिलित होने की मुझे कभी अनुमति प्रदान नहीं की।

आप तो जानते हैं, पुस्तकीय ज्ञान ही सब-कुछ नहीं है। जब तक हम विभिन्न स्थान अपनी आँखों नहीं देखते, तब तक वह ज्ञान अधूरा रह जाता है। पर्यटन द्वारा हम केवल पकृति के खुले पृष्ठों को ही नहीं देखते, वरन् मानवीय कला-कौशल एव बैज्ञानिक चमत्कार के अनगिन दृश्य भी देखते हैं। इस बार हमारे प्रधानाध्यापक की इच्छा है कि हमलोग अपने देश की राजधानी दिल्ली की यात्रा करें। दिल्ली जो कभी हस्तिनापुर नाम से पांडवों और कोरवों की गौरव-गाथा गाती थी, कभी मगलों की विलास-स्थली थी, आज वह रशमी नगरी' होकर संसार के विभिन्न देशों का संगम-सेत बन गयी है। वह हमें अपनी ओर खींच रही है।

मुझे आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि आप मुझे इस पर्यटन में सम्मिलित होने की आज्ञा देंगे तथा अतिशीघ्र दो सौ रुपये का धनादेश (मनीआर्डर) भेज देंगे।

आपका प्यारा अनुज

निरंजन 


पता-श्री रामयश सिंह,

प्राचार्य, विपिन माध्यमिक विद्यालय, 

बेतिया-845438 (प. चम्पारण)