आदमी की पहचान उसकी संगति से होती है
Aadmi ki Pehchan uski Sangati se hoti hai


'आप अपने मित्रों के बारे बताइये, मैं आपके बारे में बता सकता हूँ - बेशक यह एक अनुभवी व्यक्ति का अमूल्य कथन है । एक व्यक्ति के गुण और चरित्र उसकी संगति से पहचाने जाते हैं । इसका उल्टा सिद्धान्त भी ठीक उतरता है । मित्रों को परखकर हम एक व्यक्ति के चरित्र का निर्णय करते हैं और जिस संगति से बचना चाहता है, उससे भी उस व्यक्ति के चरित्र का अनुमान कर सकते हैं । सज्जन दुर्जनों की संगति से कतरना चाहता है। अगर कोई बुराई के लिए प्रसिद्ध व्यक्ति की संगती से दूर रहता है, तो उन दोनो के भले बुरे गुणों के मालूम होने की संभावना है, अच्छे या बुरे चरित्र का पर्दाफ़ाश होने की संभावना है।