समझदार लोग समझते हैं कि वे कितने कम समझ हैं
Samajhdar Log samajhte hai ki ve kitne kam Samajh hai


विनम्रता भगवान से मनुष्य को दी हुई देन है । जीवन में नम्रता का पालन करनेवाले भाग्यवान हैं । क्योंकि उनका जीवन शांतिपूर्ण और सुखदायक होगा । अच्छे पढे लिखे विद्वाने के व्यवहार इस बात की पुष्टि करती है । कहा जाता है, एक बार सर ऐसक न्यूटन ने कहा था - जो ज्ञान वह प्रापत कर चुका था, वह मुट्ठी भर के समुद्र की रेत के बराबर है और जो ज्ञान वह नहीं प्राप्त कर चुका है, वह सारे संसार के सागर की रेत के बराबर हैं। यह उनकी विनम्रता ही नहीं. उससे भी बढ़कर है । यह मनुष्य के पठन शक्ति की कमी को मानना है । अधजल गगरी चलकत जाय" यह एक प्रसिद्ध कहावत है। वैसे ही जिसका ज्ञान का प्रदर्शन करके बडे ज्ञानी होने का स्वांग भरते हैं। इस प्रयत्न में वे अपनी मूर्खता का ही प्रदर्शन करते हैं । लेकिन उनका आन्तरिक मन जानता है कि अपने ज्ञान से अज्ञान ही ज्यादा है। असल में पढे लिखे विद्वान लोग घडे में रखे दीप के समान अन्दर ही अन्दर प्रकाशमान हैं। आवश्यकता होने पर ऐसे ज्ञानी लोग अपने ज्ञान का प्रदर्शन करते हैं । वे खूब जानते हैं कि जीवन के अंतिम सांस तक ज्ञानार्जन कर सकते हैं । वेही सचमुच बडे हैं।