आपके दुश्मन ही असल में आपके दोस्त हैं 
Aapke Dushman hi Asal me Aapke Dost Hai


चापलूसी एक कला है जिसके जरिये बहुत से लोग दूसरों को संतुष्ट कर के उनके अनुग्रह के पात्र बनते हैं । जीवन में अच्छी हैसियत पाने की इच्छा से प्रेरित होकर, यह जानते हुए भी कि वे प्रशंसा के पात्र नहीं, दूसरों की प्रशंसा करते हैं, खुदगर्जी ही उनकी असली राय को छिपा देती हैं। इसलिए हमारे मित्र हमारी प्रशंसा करते हैं, चापलूसी करते हैं और चाटुकारिता में लग जाते हैं। लेकिन हमारे जानी दुश्मन कभी हमारी प्रशंसा नहीं करेंगे । बदले में हमारी गलतियों की ओर इशारा करने पर ही तुले रहते हैं। इससे हम जरूर असंतुष्ट होंगे और कभी कभी उनपर गुस्सा भी करेंगे । अगर शांति से बैठकर उनकी बोतों पर विचार करें तो जरूर मालूम होगा कि उनके कथन में सच्चाई है । हमें यह भी पता चलेगा कि हमारे दोस्त हमारी कमजोरियों को छिपा चुके हैं। अतः हमारे दश्मन ही हमारे अच्छे दोस्त हो सकते हैं जो हमारी असलियत की ओर आकर्षित करते हैं।