आतंकवादिता कुछ काम की नहीं
Atankvadita Kuch Kaam Ki Nahi
विश्व का कोई भाग ऐसा नहीं जो आतंकवादिता के आतंक से अछता न हो । मामूली दिनों और शांति के दिनों में भी मानव जीवन आजकल सुख की सेज नहीं । जब आतंकवादिता अपना नापाक सिर उठाता है, तब हालत बडी असह्य हो जाती है। असंख्य जीवों से हाथ धोना पड़ता है। माल अस्बान को खतरा पहुँचता है । अलावा इसके कुछ दिन के लिए है। आतंक के न होते हुए भी, हरएक के दिलो दिमाग में एक तरह का आतंक छिपा रहता है। यही इस आतंकवादिता का परिणाम है।
आतंकवादिता के इस तरह के कार्य के कारण क्या है, इसकी गहरी चर्चा में पड़े बिना हम कह सकते हैं कि ये कार्य कछ ऐसे लोगों के फसाद हैं जिनका एक मात्र मकसद अपना उल्ल सीधा करना है। ऐसे बहत से लोग हैं जो किसी भी हालत में किसी भी वातावरण में अपने ही लाभ की बात सोचते हैं। जब उनकी इच्छा पूरी नहीं होती है और उनको मालम हो जाता है कि उनकी इच्छा पूरी होनेवाली नहीं है तो वे गैर-कानूनी कामों में लग जाते हैं। ऐसे गैर-कानूनी काम खलबली मचा देते हैं और इनका सहारा लेकर ये खुदगर्जीलोग दंगे फसाद खडा कर देते हैं। कभी कभी सरकार के अनुशासन व कानून की मशीनरी बेकाम के हो जाती हैं और आतंकवादियों का राज्य चलता है।
किसी तरह आतंकवादिता बहुत दिनों तक नहीं रह सकती । किसी की छत्र छाया में कभी कोई दुष्कार्य नहीं किया जाता और पनपता भी नहीं । इतिहास बहुत से हिंसात्मक विद्रोह और शांति भंग देख चुका है। लेकिन अंत में देखा गया है कि जो इस तरह आतंक मचाते रहे, उनकी सजा हुई या मौत के घाट उतारे गये । हाल की विश्व की घटनाओं से जाहिर है कि आतंकवादियों और उनके अनुयाइयों की कामयाबी नहीं हुई और उनकी तबाही भी हो चुकी है। ऐसे आतंकवादियों के काम बहुत दिन तक नहीं चल सकते । कानून अपना कर्तव्य करेगा और उचित दण्ड देगा । आतंकवादिता उनके काम नहीं आयेगी । यद्यपि वे बहुत समय तक आतंक मचाते रहे, दंगा फसाद में फँसे रहे उनमें उनको सफलता ही सफलता मिले, फिर भी उनके असर की जड़ कभी गहीं जम पायेगी। पाप का वेतन पाप है - यह कहावत प्रिसिद्ध है । वैसे ही आतंकवादिता का फल भी ।
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