आयु के साथ ज्ञान भी बढ़ता है
Ayu ke Sath Gyan bhi Badhta Hai


अनुभूति या तजुर्बा एक समझदार और एक विश्वसनीय शिक्षक है। जीवन के प्रारंभिक काल में ही सब प्रकार के ज्ञान का भण्डार हासिल करना नामुमकीन है । हम शैष्वावस्था में, लड़कपन में, युवावस्था में गलतियाँ करते हैं. उन गलतियों को सुधारते हैं, उस अनुभूति से पाठ सीखते हैं और सुचारु जीवन बिताते हैं । ज्ञान एक दिन में हासिल नहीं किया जाता । रोम शहर एक दिन में नहीं बनाया गया। - यह कहावत ज्ञान की प्राप्ति में भी लागू हो सकता है। ज्ञान की प्राप्ति के लिए कठिन तपस्या की जरूरत है। जैसे जैसे हम आयुमें बढ़ते हैं, गलतियाँ करकेही ज्ञान प्राप्त करते हैं।


सांसारिक जीवन हमें अनुभव प्रदान करता है । और ये अनुभूति हमारे ज्ञान के भण्डार को भरती हैं। अगर बच्चा अत्यधिक प्रतिभावान हो तो वह बचपन में ही बडा समझदार बन जाता है। नहीं तो उसे बचपन में समझदार पाना मुश्किल है। इसके अलावा जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हम विभिन्न लोगों से मिलते हैं, हमें जीवन के सही रास्ते दिखानेवाली पुस्तकों की संगति मिलती है जो हमारे ज्ञान की वृद्धि में सहायक होती हैं। इसलिए कोई बेशक एतराज करने का साहस नहीं करता कि आयु के साथ साथ ज्ञान भी बढ़ता है।


युवावस्था जीवन काल का स्वर्णिम समय है । युवावस्था में ही मस्तिष्क तरोताजा रहता है और उसपर भले बुरे का अमिट छाप पड़ता है। । खूब सैर करने का, पुस्तकें पढने का, विभिन्न स्तरों के लोगों से मिलने का और कई लाभदायक कार्यों में लगने के सुअवसर युवावस्था में ही मिलते हैं । जैसे हम बुढापे में पदार्पण करते हैं, जीवन के रंग-रेलियों में फँस जाते हैं । हमारे कर्तव्य और जिम्मेदारियाँ बढती हैं। कई बातों में हम कई लोगों के जवाबदेही बनते हैं। इसलिए ज्ञान की प्राप्ति की संभावनाएँ इस हालत में नहीं के बराबर हैं।


इस के अलावा, याद रहे कि जैसे हम उम्र में अग्रसर होते हैं, हमारी याददास्त और प्रतिभाएँ धिसती जाती हैं । अगर ज्ञान हासिल करना है तो बुढ़ापे के आ धमकने के पहले ही हासिल करना है । त जुर्वे से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। युवावस्था के तजुर्बे से प्राप्त ज्ञान श्रेयकर है । जब बुढ़ापा हमपर आ उतरता है, तो कई मामलों में अवसर कम हो जाते हैं, चिढ़चिढ़ापन आ जाता है । किसी किसी बातों में कोल्हू के बैल ही बन जाते हैं। उससे बाहर नहीं आ सकते । इसलिए यह काला कि उम्र में बढ़ने से ज्ञान भी बढ़ता है, सही नहीं है । यह एक ही सिक्के का दूसरा पहलू है।