बदनाम जीवन से मौत भली 
Badnam Jeevan se Maut Bhali


एक ग्रीक तत्ववेता ने कहा है - "मनुष्य सिर्फ जीने के लिए तो जीवन यापन नहीं करता, बल्कि एक सुचारु और आदर्श जीवन के लिए जी रहा है । यह आदर्श जीवन कई तरह से बिताया जा सकता है। स्वभाव से मनुष्य महत्वाकांक्षी है । वह बहुत सी बातों की साधना चाहता है. कुछ में सफल होता है और कुछ में असफल भी । इन कार्यों को सफल बनाने में उन्हें अवांचनीय मार्गों का सहारा लेना भी पडता है । उदारहणार्थ, मनुष्य को सन्तोषमयजीवन बितानेके लिए धन की आवश्यकता है । इस लिए उस धन की प्राप्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। समाज में उच्च स्तर पर रहनेवाले भी पैसे जुटाने के लिए कितने ही कुकर्म करते हैं । काला बाजार, मादक पदार्थों की बिक्री, स्मलिग आदि कुछ लोगों के लिए मामूली सी बात है, क्योंकि पैसा कमाना ही उनका प्रमुख लक्ष्य है । ऐसे भी कुछ लोग हैं जो छोटी सी गलती करने के लिए हिचकते हैं । ऐसे लोगों के लिए उनका सम्मान ही सब कुछ है। उदाहरणार्थ, अगर किसी की सन्तान जाने अनजाने में भी कोई गुनाह करे, तो उस बदनामी जीवन से मरना भला समझते हैं। हिरणों में एक नस्ल ऐसा है जिसके एक रोम के गिरने से अपनी जान तक दे देता है।