भिखारियों की समस्या
Bhikhariyo ki Samasya 


आज भारत ज्वलन्त प्रश्नों के बीच से गुजर रहा है। भारत को बेकारी, बढ़ती आबादी, गरीबी, जातियता आदि ज्वलन्त समस्याओं को हल करना है। इन समस्याओं के अलावा और एक सर्वव्यापी समस्या है। वह है भिखारियों की समस्या । सार्वजनिक स्थलों पर भिखारियों का अड्डा जम जाना एक मामूली दृश्य सा बन गया है । बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशनों पर भिखारियों के झुण्ड के के झुण्ड अड्डा जमाते रहते हैं। कोढी भी उन लोगों में शामिलि हैं । वे देखनेवालों को एक तरह की अरुचि पैदा करते हैं। इसलिए इनकी समस्या को हल करना हरएक नागरिक और सरकार का कर्तव्य है।


ऐसी बडी संख्या में भिखारियों के होने के कारण हैं - हमारे धार्मिक सिद्धान्त और दान प्रियता । हमारे देश में हरएक का पालन पोषण इस सिद्धान्त के आसरे पर हुआ है कि गरीबों और पीडितों की सहायता करना हरएक संपन्न व्यक्ति का परम कर्तव्य है । इस सिद्धान्त पर हमारे विश्वास अटल होने के कारण हम यह भूल जाते हैं कि हम हट्टेकट्टे, सुढौल शरीरवालों को भीख देते हैं, असल में उन्हें इसकी जरूरत ही नहीं। इसका फल यह होता है कि हम एक ऐसे सुस्त लोगों के वर्ग की सष्टि करते हैं जो नौकरी देने पर भी नौकरी करना पसन्द नहीं करते । उन भिखारियों में कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें सहायता की आवश्यकता है, उनके जीवन का उद्धार करना आवश्यक भी है।


केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों भिखारियों की सहायता कर उनकी समस्या को कम करने के लिए यथाशक्ति प्रयत्न कर रही है । पश्चिमी देशो में भीख मांगना गैरकानूनी घोषित किया गया है फिर भी हमारी सरकार ने यहाँ भिखारियों के लिए शरणालय खोले हैं । तमिलनाडु में एक खास भिखारी संरक्षण कोष बना है उस कोष से भिखारियों की सहायता की जा रही है। भिखारियों की सहायतार्थ कभी कभी लाटरी चलाते हैं। कुछ एक सार्वजनिक दानी संस्थाएँ भी इस सामाजिक बुराई को मिटाने के लिए आगे बढ़ रही हैं । मदर तेरेसा का उदाहरण हम नहीं भूल सकते । जनता और सरकार दोनों के सहायोग के बिना इस समस्या का सुलझाव आसनी से नही हो पायेगा।