जब मैं मंच पर पहुँचा 
Jab Mein Manch Par Pahucha


हमारे विद्यालय में फंसी ड्रेस शो था। सब बच्चे इसमें भाग ले रहे थे। कोई डॉक्टर बना हुआ था. कोई जोकर तो कोई सब्जीवाला। मैं टमाटर बना। माँ ने मेरे लिए लाल कपडे खरीदे। बडे चार्ट पर टमाटर का चित्र बनाकर मेरे दोस्त ने मुझे लाल जूते दे दिए।


मझे टमाटर की कविता सुनानी थी। शो शुरू हुआ। सब बच्चे मंच पर बारी-बारी से आ जा रहे थे। मझे बहुत डर लग रहा था। माँ भी वहीं थी। वे मुझे बार-बार सहलातीं और मेरा साहस बढाती।.मेरी बारी आई। जैसे ही मैं मंच पर चढ़ा मेरा फीता खुल गया। कदम बढ़ाते ही मैं लुढक गया। तभी मेरी टीचर बोली, "देखो, टमाटर लुढ़क रहा है।"


मझे बहुत  रोना आ रहा था। तभी मैंने देखा कि सामने बैठे बच्चे ज़ोर-ज़ोर से तालियाँ बजा रहे होशो समाप्त हुआ। मुझे इनाम मिला। मैं बहुत खुश हुआ। माँ ने मुझे गोद में उठाकर प्यार किया।