जब मुझे नौकरी लगी 
Jab Mujhe Naukari Lagi


रामू आज हमेशा से बहुत खुश नजर आ रहा था । पहले उसका कारण मालूम नहीं था। वह तो पिछले पांच सालों से बहुत तंगी में था। कहीं भी कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलती थी । वह तो बडा होनहार विद्यार्थी था । लेकिन उसकी होशियारी जीवन में काम नहीं आयी । चूंकि दो साल पहले वह अपने पिता को खो चुका था, इसलिए उसे अपने परिवार के संभालने में हाथ बंटाना था, आज वह बहुत खुश नजर आ रहा था । अतः मैं उसकी खुशी का कारण जानने के लिए और उसकी खुशी में शरीक होने के लिए उत्सुक था। जैसे मैं उसके नज़दीक जा रहा था, वैसे ही मेरे सवाल को भांपते हुए कहने लगा - 'यार, मुझे नौकरी मिल गयी है । उसने मुझे एक फोटो दिखाया । यह हमारे स्कूल के मास्टर का फोटो था - हमारे मास्टर साहब अमीर भी नहीं थे। मुझे मालम हुआ - नौकरी के लिए एक हजार रुपये के जो जमानात भरने थे उसे मास्टर साहब ने भर दिया था या यों कहिये कि उसे एक हजार रुपये उदार दिये हैं। उस फोटो को दिखाते हुए उसने कहा - हमारे मास्टर ने देवता के मानिन्द मेरी सहायता की है।