जीवन कार्यों में है, वर्षों में नहीं 
Jeevan Karyo me hai, Varsho me Nahi


किसी के जीवन का बडप्पन उसकी उपलब्धियों में है। हजारों साल के साल वृक्ष या बरगद के पेड़ के बजाय घण्टों जीवित रहकर मरनेवाले फूल से एक कवि प्रसन्न होता है । स्वामी विवेकानन्द, आदिशंकर आदि महान लोग, कीट्स जैसे महान कवि और बीसवीं शताब्दी के कई राजनीतिक बहुत कम समय के लिए ही इस संसार में रहे । फिर भी उनकी कृतियाँ और उनकी उपलब्धियाँ सदा के लिए इस संसार में जियेंगी । पर कुछ लोग अस्सी साल तक जीते हैं तो गुमनामी में मरते हैं बिना किसी गौरव के, बिना रोनेवालों के मरते हैं, ऐसे भी कुछ लोग हैं, बहुत कम समय ही जिये, फिर भी जीवन को गौरव से और गरिमा से सदाबहार बनाया हैं । उनके अल्प कालीन जीवन उनकी उपलब्धियों से जुड़े हुए हैं । उस अल्प कालीन जीवन में ही उन लोगों ने जो दिया है वह अमर रहेगा । इसलिए हमें देखना है कि हम कितने साल जीते हैं, कैसे जीते हैं । यही परमावश्यक है । हरएक को लंबी आयु के साथ मामूली आदमी की तरह जीवन बसर करने से थोडे दिन ही सही, महान और गौरवपूर्ण कार्य करके अमरत्व प्राप्त करने की बात पर ध्यान देना वांछनीय है।