भगवान का दूत  
Bhagwan ka Doot


एक सियार था । वह घने जंगल में रहता था । एक दिन उसे एक पट्टा मिल गया । उस पर लिखा था- 'चैंपियन' । बस सियार ने पट्टा अपने गले में लटका लिया और उसने अपने को सियारों का राजा घोषित कर दिया । पूरे जंगल में डुगडुगी पिटवा दी- "उसे पट्टा भगवान ने दिया है । वह भगवान का विशेष दूत है।"


जंगल के सभी जानवर अनपढ़ थे। उस पट्टे पर लिखी भाषा को कोई नहीं पढ़ सका। सियार भी पढ़ा लिखा न था, लेकिन उसने चालाकी से उस पट्टे का लाभ उठाना चाहा । धीरजी उसने अपनी धाक जमा ली। सभी जानवर उसकी सेवा करने में लगे रहते । उसकी बात को ध्यान सुनते और उस पर अमल करते । सियार हर मामले में मनमानी करने लगा।


सियार एक दिन किसी गाँव के नज़दीक पहुँचा । साथ में सियारिन भी थी । अचानक गाँव के शिकारी कुत्तों ने उन्हें देखा तो झपट पड़े । सियार समझ गया कि अब प्राण संकट में हैं । उसने भागने की तैयारी करते हुए सियारिन से कहा, "जितनी जल्दी हो भाग चलो, नहीं तो प्राण नहीं बचेंगे।" सियारिन बोली, "इन कुत्तों को अपना पट्टा दिखा कर बता दो कि तुम भगवान के दूत हो।"


सियार ने भागते हुए उससे सिर्फ इतना कहा कि ऐसी बातें अपने लोगों में ही चल पाती हैं। अत: जितना तेज़ भाग सकती हो, भाग लो ।