एक जलता हुआ मकान
A House on Fire
गरमी की रात थी। जून का महीना था। मैं अपनी चाची के यहाँ गया था, जो कि एक दूर के गाँव में रहती है। ये मेरे ग्रीष्म-अवकाश के दिन थे। गाँव में अधिकांश मकान मिट्टी की ईंटों व छप्पर से बने थे। कुछ मकान पक्के भी थे जो कि पक्की ईंटों, पत्थरों व सीमेन्ट से बने थे। ये समाज के उच्च वर्ग के सम्पन्न लोगों के मकान थे। मेरी चाची भी ऐसे ही एक मकान में अपने इकलौते बेटे व एक नौकर के साथ रहती थी।
मैं घर के बाहर अपने चचेरे भाई निरमन व नौकर निरूपा के साथ सो रहा था। निरमन व निरूपा तो सो चुके थे परन्तु मैं जगा हुआ था। मैं अपने विचारों में गहरा खोया हुआ था। तभी सुहावनी हवा चलने लगी। पेड़ों के पत्तों में सरसराहट होने लगी। तभी अचानक शोर व चीख-पुकार सुनाई दी। मैं एकदम उठ गया और मैंने कुछ दूरी पर पेड़ों के ऊपर चमक देखी। साफ दिखाई दे रहा था कि एक मकान जल रहा है। मैंने अपने चचेरे भाई निरमन व उसके नौकर को जगाया। हम तीनों उस मकान की ओर भागे।
हमने देखा कि एक छप्पर का मकान आग की लपटों में जल रहा है। तेज हवा आग को और भी भड़का रही थी। मकान एक गरीब किसान का था। बहुत से लोग आग बुझाने के लिए पानी व मिट्टी डाल रहे थे। उनके हाथ में पानी के घड़े व बाल्टियाँ थीं। मकान का अधिकांश भाग जल चुका था। अब आग पर अंकुश पाया जा चुका था। और वह अन्य भागों में नहीं फैल रही थी।
यह बड़ा भयानक दृश्य था। लपटें बहुत ऊँची उठ रहीं थीं। और धुआँ आसमान में पहुँच रहा था। वस्तुएँ डरावनी आवाज़ों के साथ जल रही थीं। किसान का परिवार विलाप कर रहा था। किसान स्वयं भी दुखी और सदमे में लग रहा था। धीरे-धीरे वहाँ पर बहुत भीड़ इकट्ठी हो गई। वे सब पास के मकानों, कुओं और तालाबों से पानी ला रहे थे। वे आग पर पानी और मिट्टी डाल रहे थे। दूसरे लोग छप्पर व उसके बाँस के ढाँचे को खींच रहे थे। एक व्यक्ति ने बड़ी बहादुरी के साथ गाय व बकरियों को आग से बचाया। परन्तु जानवरों के अलावा कुछ भी न बच पाया, सबकुछ राख हो गया। जबकि जान का कोई नुकसान नहीं हुआ।
अन्त में लोगों ने आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया। एक युवक घायल हुआ और बूढ़ा किसान थोड़ा जल गया। आग लगने का कारण कोई न जान सका। गरीब किसान के बिलखते परिवार की स्थिति दयनीय थी। क्योंकि अब उनके पास न कोई मकान था और न ही कोई सामान।
तब हम आग की भयानकता की बातें करते हुए वापस घर लौट आए। इस बुरे अनुभव के कारण मैं रात-भर सो नहीं पाया। उस दृश्य को याद करके मैं अभी भी भयग्रस्त हो जाता हूँ। मेरे विचार से हम इन दुर्घटनाओं से बच सकते हैं, अगर हम सुरक्षा के नियमों का सतर्कता से पालन करें।
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