एक किसान की आत्मकथा 
Ek Kisan Ki Atmakatha 

किसान का जीवन बहुत ही कठिन है। वह अपने खेतों में लम्बे समय तक काम करता है। वह कठोर मौसम की परवाह किए बिना कार्य करता है। चाहे सरदी हो, गरमी हो या फिर बारिश हो रही हो, उसका ध्यान सिर्फ अपनी फसल में ही लगा रहता है। वह बहुत गरीब व निर्धन होते हैं तथा अपनी मेहनत के बल पर वे केवल अपना जीवन ही व्यतीत कर पाते हैं। हालांकि कृषि की नवीन तकनीकों ने किसान की बहुत मदद की है, पर इस उपलब्धि का लाभ एक छोटा व निर्धन किसान नहीं उठा पाता। क्योंकि वह अपने खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए औज़ार' भी नहीं खरीद पाता।

सरकार को आगे बढ़कर कमज़ोर किसान की मदद करनी चाहिए। उन्हें कम ब्याज पर ऋणों की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। उन्हें डेयरी उद्योग व खेती करने की नई-नई तकनीकों का विशेष ज्ञान दिया जाना चाहिए। उन्हें कम दामों पर उपयुक्त बीज उपलब्ध कराने चाहिए। किसान का काम बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। वह हमारे लिए अनाज, फल व सब्जियाँ उगाता है। हमारी बहुत-सी औद्योगिक संस्थाएँ किसानों पर निर्भर करती है। भारत गाँवों और किसानों का देश है। उनकी सही देखभाल की जानी चाहिए। देश की सुख-शान्ति और धन-सम्पदा सभी कुछ किसानों पर निर्भर है। अगर वो ही गरीब और भखा है तो देश कभी भी अमीर नहीं बन सकता। उनके बच्चों का भली-भाँति ध्यान रखना चाहिए। शिक्षा को उनके दरवाजे तक लेकर जाना चाहिए। गाँवों में अच्छे से अच्छे स्कूलों का निर्माण किया जाना चाहिए। शिक्षा को छोटे स्तर पर मुफ्त व सभी के लिए अनिवार्य बनाना चाहिए। उनको खुले दिल से छात्रवृत्ति प्रदान करनी चाहिए।

हम किसान के बारे में तभी सोचते हैं जब सूखा पड़ता है व खाने की कमी होती है। वास्तव में खाना हर व्यक्ति की ज़रूरत है। कोई भी बिना अन्न के जीवित नहीं रह सकता है। इस प्रकार किसान हमारा अन्नदाता है जिसके अन्दर अन्य कोई अपनी इच्छा नहीं होती। इसलिए किसान को कभी भी अकिंचन नहीं बनना चाहिए। वह कठिन परिश्रम व सादगी और सत्यता का उदाहरण है। हम उसके जीवन से शिक्षा ग्रहण कर सकते है।