मैं सर्कस देखने गया
Mein Circus Dekhne Gya
पिछले साल बसन्त के मौसम में दशहरे की छुट्टियों के दौरान हम जयपुर गए थे। वहाँ मेरे चाचा जी रहते हैं। अगले दिन मेरे अंकल ने हमें सर्कस ले जाने का वादा किया। मैं बहुत खश हो गया। मैं इससे पहले कभी भी सर्कस देखने नहीं गया था। वह बहुत ही प्रसिद्ध जैमिनी सर्कस था, वहाँ पर बहुत बड़े मैदान में तम्बू' लगा हुआ था। वहाँ आस-पास बहुत से तम्बू व कनात लगे हुए थे। इनमें से कुछ तो जानवरों व कुछ श्रमिकों के लिए थे। वह अपने आप में एक छोटा-सा गाँव था।
सम्पूर्ण दृश्य बिजली की रोशनी से जगमगा रहा था। बड़े-बड़े रंग-बिरंगे झण्डे हवा में लहरा रहे थे। फिल्मी गाने लोगों के विचरण करने की जगहों पर बज रहे थे। सर्कस के बाहर भी बहुत सी दुकानें थी। वहाँ पर बहुत ही शोर-शराबा था। लोग पूरी तरह से हर्षोल्लास में डूबे हुए थे।
हम कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही वहाँ पर पहुँच गए थे। टिकट प्राप्त करने वाली खिड़की पर दर्शकों की एक लम्बी कतार लगी हुई थी। पर मेरे अंकल पहले से ही टिकट लेकर आ चुके थे। हम बड़े दरवाजों से अन्दर घुसे; वहाँ पर दोनों तरफ चीते, हाथी, घोड़े की तस्वीरें थीं तथा कलाबाज अपना करतब दिखा रहे थे। हमने अपनी आरामदेह सीटें ग्रहण कर ली और शीघ्र ही कार्यक्रम शुरू हो गया। सर्कस में दर्शकों की अपार भीड़ सम्मिलित थी। एक बैंड वाले ने वीरता-भरी धुनें बजाना शुरू की। सर्वप्रथम घोड़े का कार्यक्रम था। घुड़सवार अपनी चाबुक की कड़क आवाज़ से करतब दिखा रहा था। और घोड़ा बैंड की धुनों पर नाच रहा था। तत्पश्चात् जोकरों का करतब शुरू हो गया था। वहाँ पर बहुत से युवा स्त्री-पुरूष कलाकारों ने दर्शकों को अपने करतब दिखाए। इसके बाद एक जोकर साईकिल के करतब दिखाने लगा, फिर उसके बाद एक छोटी-सी लड़की रम्सी पर साइकिल चला रही थी। तत्पश्चात् उस लड़की ने रंग-बिरगे छाते को सँभाल लिया, लोग जोर-जोर से तालियाँ बजा रहे थे। प्रत्येक साँस रोकने वाली प्रस्तुति पर दर्शकों का कलेजा मुँह को आ जाता था।
उसके बाद हाथी आए और फुटबाल से खेले तथा एक सिलेंडर पर रखे तख्ते पर चढ़कर संतुलन के करतब को दिखा रहे थे। मेरा दिल एक-दो क्षण के लिए तो रुक-सा गया था जब एक आदमी बड़े दाँतों वाले हाथी के ऊपर बैठकर आ रहा था। उसके बाद एक आदमी ख़तरों से खेलता हुआ मोटर साईकिल पर सवार होकर आया। वह एक रोंगटे खड़े कर देने वाला करतब था जो वह एक लोहे के बड़े कुएँ के समान पिंजरे में दिखा रहा था। एक विशाल पिंजरे में चीतों व शेरों द्वारा दिखाया खेल बहुत ही उत्तेजक था। शेर को साधने वाले ने बहुत से करतबों को दिखाया। वह अपना हंटर तेज आवाज के साथ चला कर जंगल के राजा से अपना हुक्म मनवा रहा था। एक छोटी-सी लड़की ने शेर के खुले मुँह में अपना सिर दे दिया और फिर बड़ी सावधानी से एक मिनट के बाद अपना सिर बाहर निकाल लिया। दर्शक साँस रोककर उनका खेल देख रहे थे। यहाँ पर और भी बहुत रोचक खेल दिखाए गए थे। इसके बीच में दो जोकर अपने खेल व व्यवहार तथा चुटकुले सुनाकर दर्शकों का मनोरंजन कर रहे थे।
अन्त में रात्रि 10.30 बजने पर कार्यक्रम समाप्त हो गया और हम इस रोमांचक मनोरंजन को देखकर घर लौट आए। हमें अपने पैसों की अच्छी कीमत मिली। मैं सर्कस के कार्यक्रम को सदैव याद रखूगा। मैंने अपने अंकल व आण्टी को सर्कस ले जाने के लिए धन्यवाद दिया।
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