मेरा प्रिय खेल
Mera Priya Khel
खेल स्कूली शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। यह विद्यालय के बच्चों, महाविद्यालय के युवाओं और अन्य लोगों के स्वास्थ्य व शारीरिक क्षमता की आधारशिला' हैं। विद्यालय में जिम्नेसियम, खेल के मैदान व अन्य मैदान होते हैं, जिससे विद्यार्थी खेल व उनसे सम्बन्धित गतिवधियों में भाग ले सकें। खेल का विधान व शारीरिक शिक्षा विद्यार्थियों को उनका स्वास्थ्य व क्षमता बनाए रखने में सहायता पहुँचाता है।
सारा कार्य और कोई खेल न खेलने से व्यक्ति मन्द हो जाता है और मैं मन्द नहीं होना चाहता। मैं आलसी और कमजोर नहीं होना चाहता और मैं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हूँ। इसलिए मैं अपने विद्यालय में प्रतिदिन फुटबाल खेलता हूँ। छुट्टियों में मैं इसका अभ्यास अपने घर के निकट एक मैदान में करता हूँ। यह मेरा प्रिय खेल है। यह बहुत ही रोचक व प्रसिद्ध खेल है। यह पूरे संसार में खेला व देखा जाता है। जहाँ तक हो सके मैं फुटबाल मैच खेलना व देखना नहीं छोड़ता। अगर मेरे शहर में राष्ट्रीय व आंतारास्ट्रीय फुटबाल मैच होते हैं तो मैं जाकर अवश्य देखता हूँ नहीं तो टेलीविजन पर तो अवश्य ही देखता हूँ। मुझे फुटबाल पसंद है क्योंकि इसे गरीब भी खेल सकते हैं। यह एक सस्ता खेल है। इस खेल के लिए केवल एक फुटबाल, एक खुला मैदान तथा खेलने वाले लोगों के समूह की आवश्यकता होती
ऐसा माना जाता है कि फुटबाल अठारहवीं शताब्दी के मध्य में इंग्लैंड में आरम्भ हुआ। परन्तु तथ्य यह साबित करते हैं कि ईसवी संवत से पहले चीन में एक फुटबाल जैसा खेल खेला जाता था, इसको ‘टिसू' कहते थे। जिसका अर्थ है 'ठोकर द्वारा ऊँचा मारना'। यह पैरों से व चमड़े की गेंद से खेला जाता था जो कि रुई से भरी होती थी।
फुटबाल में दो टीम होती हैं। टीम में ग्यारह से अधिक खिलाड़ी नहीं होते तथा एक गोल रक्षक होता है। मैदान आयताकार होता है। मुझे भारत में फुटबाल खेलने का तरीका पसंद नहीं है। मुझे दूसरे देशों में खेले जाने वाली तेज़ फुटबाल पसंद है। इन खेलों को देखकर यह पता चलता है कि फुटबाल में कितनी शक्ति है तथा उसके खिलाड़ियों में कितनी चतुराई व योग्यता है। मैं अपने विद्यालय की टीम का कप्तान हूँ और इण्टर स्कूल मैचों में अपने विद्यालय का प्रतिनिधित्व कर चुका हूँ। हम उन मैंचों के विजेता रहे हैं। ब्राज़ील का पेले, रूस के सासीन, पोलैंड के नवालिका तथा भारत के चुनी गोस्वामी मेरे आदर्श फुटबालर हैं। मैं इस खेल में उनकी तरह बनना चाहता हूँ। वे मुझे मेरे खेल को सुधारने में प्रेरणा देते हैं। मुझे जवाहर लाल नेहरू स्वर्ण कप फुटबाल प्रतियोगिताओं को देखना अति प्रिय है।
कुछ समय पहले भारत इस खेल में पिछड़ा हुआ था जिससे मुझे बहुत दुख होता था। मैं चाहता हूँ कि यह खेल लोगों के बीच प्रिय हो व क्रिकेट की भाँति लोकप्रिय हो।
0 Comments