मेरी महत्त्वाकांक्षा
Meri Mahatvakangsha
हर किसी की एक महत्त्वाकांक्षा होती है। जीवन बिना महत्त्वाकांक्षा के अधूरा है। यह जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाती है व जीने की राह दिखाती है। बिना उद्देश्य के जीवन व्यर्थ है। पहले उद्देश्य बनाओ फिर उस पर चलो। बहुत से लोग अमीर व्यवसायी, मिल-मालिक व बैंकर्स बनना चाहते हैं। कई अन्य लोगों का स्वप्न राजनीतिज्ञ, समाज-सुधारक, डॉक्टर, इंजीनियर व सरकारी नौकरी प्राप्त करना होता है। कुछ अन्य का उद्देश्य सिपाही, पुलिस अफसर, विमान-चालक, वैज्ञानिक, लेखक, पत्रकार व कवि बनना होता है। हर व्यक्ति का अलग-अलग स्वप्न होता है। मेरा एक मित्र है, जो कपिल देव व सचिन तेंदुलकर की तरह महान क्रिकेटर बनना चाहता है।
महत्त्वाकांक्षा हमेशा संभव होनी चाहिए अर्थात् जिस तक पहुँचा जा सके। हवा में किले बनाना व्यर्थ कार्य है। अति-महत्त्वाकांक्षा दुःख', असफलता व निराशा लाती है। यह हमारी शारीरिक, आर्थिक क्षमताओं के अंदर होनी चाहिए। इसके लिए व्यक्ति को ईमानदारी से अपनी क्षमताओं व योग्यताओं को पहचानना चाहिए।
मैं अपनी क्षमताओं व कमजोरियों को भली-भाँति जानता हूँ। मैं फिल्म-स्टार बनने का स्वप्न नहीं देखता। मैं कोई प्रसिद्ध फुटबालर व क्रिकेटर भी नहीं बनना चाहता। ना ही मैं कोई बहुत धनवान् बनना चाहता हूँ। राजनीतिक जीवन भी मेरा उद्देश्य नहीं है। मैं एक सादा, अर्थपूर्ण, अच्छा व आडम्बरहीन जीवन जीना चाहता हूँ। मैं एक अच्छा इंसान व नागरिक बनना चाहता हूँ।
मैं एक सम्मानित मध्यम परिवार का हूँ। मैं मूर्खतापूर्ण स्वप्न नहीं देखता। मैं अपने पैर जमीन पर रखता हूँ। पढ़ाई में अच्छा हूँ, परन्तु मैं डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बनना चाहता। मेरे पिताजी की पिछले वर्ष एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। अब हमारी माताजी हमारे लिए कठिन परिश्रम करती हैं। वह एक अस्पताल में नर्स हैं। मुझे लगता है कि अध्यापक की नौकरी के लिए मैं योग्य हूँ।
अध्यापक का गुण मेरे रक्त में है। मेरे स्वर्गवासी पिता बहुत अच्छे अध्यापक थे। वह विद्यार्थियों व विद्यालय-कर्मचारियों के मध्य प्रसिद्ध थे। मैं भी वैसा ही बनना चाहता हूँ। यह मेरी अकेली महत्त्वाकांक्षा है और मैं अपनी इस आकांक्षा को पूरा करने के योग्य हूँ।
0 Comments