पुस्तकें मेरी सबसे अच्छी मित्र
Pustake Meri Sabse Acchi Mitra
कई कारणों से पुस्तकें मेरी सबसे अच्छी मित्र हैं। वे हमारी हमेशा रहने वाली साथी हैं। वे हमेशा मेरी सहायता करती हैं। कोई भी मित्र पुस्तकों जैसा नहीं हो सकता। वे कभी मुझे उदास नहीं होने देतीं और न ही मुझसे ऊबती हैं। उनके होने से मैं कभी अकेला महसूस नहीं करता। अन्य मित्र इतनी अच्छी संगति नहीं दे सकते। उनकी अपनी सीमाएँ है। हमारे लिए हमेशा अपने मित्रों को खुश रखना कठिन होता है।
परेशानियों के समय हम पुस्तकों पर निर्भर हो जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में हम उनसे पढ़कर ज्ञान प्राप्त करते हैं। पुस्तकों के अन्दर सभी समस्याओं का निराकरण होता है। मैं उनकी सलाह मानकर उनके उपाय' अपनाता हूँ। वास्तव में एक सच्चा मित्र समय पर काम आता है। यह एक मित्र को परखने की कसौटी है और पुस्तकें इन कसौटियों पर खरी उतरती हैं। मेरे दो मित्र हैं। वे सब समय के साथ बदलते रहते हैं। वे परेशानियों के समय मेरे साथ कभी खड़े नहीं रहते। परन्तु पुस्तकें और उनका ज्ञान हमेशा अच्छे और बुरे समय में साथ रहता है।
कोई भी जहाज या हवाई जहाज मुझे इतनी दूर नहीं ले जा सकता जितनी कि पुस्तकें। वे मुझे बिना थकान के सात समुन्दर पार ले जाती हैं। मैंने भारत और भारतवासियों को पुस्तकों के द्वारा जाना व समझा। वे मेरा ज्ञान व अनुभव बढ़ाती हैं, ज्ञान शक्ति हैं। उनके होने से मैं शक्तिशाली व प्रसन्न रहता हूँ। पुस्तकें मुझे मनोरंजन का अच्छा साधन उपलब्ध कराती हैं। मैं इस आनंद को जब चाहे तब प्राप्त कर सकता हूँ और दूसरे लोगों को भी बाँट सकता हूँ। पुस्तकें आनन्द प्रदान करती हैं। वे मेरे खाली समय को अर्थपूर्ण बनाती हैं। मैं उनकी संगति में कभी नीरस, दुखी व अकेला महसूस नहीं करता।
पुस्तकों के कारण ही परीक्षाओं में मैं अच्छे अंक प्राप्त करता हूँ। वे मेरी भाषा व भावनाओं की योग्यता को बढ़ाती हैं। वे मेरे शब्दकोष' के ज्ञान को भी बढ़ाती हैं। पुस्तकें पढ़ने के कारण ही मेरा शब्दकोष विस्तृत है। पुस्तकें मेरी शिक्षा का शक्तिदायक साधन हैं।
वे मेरी सर्वश्रेष्ठ व घनिष्ठ मित्र हैं। हमारी अच्छी संगति है। दो लोगों की संगति होती है तथा तीन लोगों की भीड़। और मुझे भीड़ पसंद नहीं है।
जब मैं पुस्तकें पढ़ता हूँ तो मैं महान व्यक्तियों की संगति में होता हूँ और उनकी महानता कुछ मेरे अन्दर भी आ जाती है। मैं ऐसे मित्र को पाकर स्वयं को भाग्यशाली समझता हूँ।
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