सरदार वल्लभभाई पटेल 
Sardar Vallabh Bhai Patel


वल्लभभाई की विलायत जाकर बैरिस्टरी की परीक्षा पास करने की इच्छा आरंभ से ही थी। वे अपनी प्रैक्टिस में से कुछ रुपया भी इसके निमित्त बचाकर रखने लगे और इस संबंध में उन्होंने एक विदेशी कंपनी से पत्र-व्यवहार भी जारी रखा। जब विदेशी कंपनी ने उनकी विदेश-यात्रा की स्वीकृति का पत्र उन्हें भेजा तो वह पत्र उनके बड़े भाई के हाथ पड़ गया। अंग्रेज़ी में दोनों का नाम वी. जे. पटेल होने के कारण यह गड़बड़ी हो गई। विट्ठलभाई ने जब वल्लभभाई से कहा कि मैं तुमसे बड़ा हूँ, मुझे पहले विदेश जाने दो, तो वल्लभभाई ने न केवल उन्हें जाने की अनुमति दी, बल्कि उनके ख़र्च का उत्तरदायित्व भी अपने ऊपर ले लिया। इस घटना के तीन वर्ष बाद जब सन् 1908 में बड़े भाई विलायत से वापस लौट आए, तभी वल्लभभाई सन् 1910 में विलायत जा सके। बड़े भाई के लिए इतना त्याग करना उनके व्यक्तित्व की विशालता का परिचायक है।