शिष्टाचार और पालन
Shishtachar aur Palan
सभ्य आचरण और व्यवहार ही शिष्टाचार कहलाता है। जीवन में शिष्टाचार का बहुत महत्त्व है। बातचीत करते समय सभी को एक दूसरे से शिष्टाचार से बात करनी चाहिए। छोटों को बड़ों से और बड़ों को छोटों से बात करते समय शिष्टाचार का ध्यान रखना चाहिए। शिष्टाचार का पालन करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। शिष्ट व्यक्तियों से जब कोई ग़लती हो जाती है तो वे खेद प्रकट करते हैं और सहज ही अपनी ग़लती स्वीकार करते हैं। विद्यार्थीजीवन में तो शिष्टाचार का और भी अधिक महत्त्व होता है, क्योंकि यही शिक्षा जीवन का आधार बनती है। स्कूल की प्रार्थना-सभा में पंक्ति में आना-जाना, कक्षा में शोर न करना, अध्यापकों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनना, सच बोलना, सहपाठियों से मिलजुल कर रहना, स्कूल को साफ सुथरा रखना, स्कूल की संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना व छुट्टी के समय धक्कामुक्की न करना शिष्ट बच्चों की निशानी है। ऐसे बच्चों को सभी पसंद करते हैं।
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