वोकैशनल शिक्षा 
Vocational Education


व्यवसाय या रोज़गार पर आधारित शिक्षा व्यावसायिक शिक्षा कहलाती है। भारत सरकार इस दिशा में सराहनीय भूमिका निभा रही है। इस शिक्षा को प्राप्त करके विद्यार्थी शीघ्र ही अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। प्रतियोगिता के इस दौर में तो इस शिक्षा का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। व्यावसायिक शिक्षा में ऐसे कोर्स रखे जाते हैं जिनमें व्यावहारिक प्रशिक्षण अर्थात प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर अधिक जोर दिया जाता है। यह आत्मनिर्भरता के लिए एक बेहतर कदम है। व्यावसायिक शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए भारत व राज्य सरकारों ने इसे स्कूलस्तर पर शुरू किया है। निजी संस्थाएँ भी इस क्षेत्र में सराहनीय भूमिका निभा रही हैं। कुछ स्कूलों में तो नौवीं कक्षा से ही व्यावसायिक शिक्षा दी जाती है परन्तु बड़े पैमाने पर इसे ग्यारहवीं कक्षा से शुरू किया गया है। व्यावसायिक शिक्षा का दायरा काफी विस्तृत है।

विद्यार्थी अपनी पसन्द व क्षमता के आधार पर विभिन्न व्यावसायिक कोसों में प्रवेश ले सकते हैं। कॉमर्स-क्षेत्र में कार्यालय प्रबन्धन, आशुलिपि व कम्प्यूटर एप्लीकेशन, बैंकिंग, लेखापरीक्षण, मार्किटिंग एण्ड सेल्ज़मैनशिप आदि व्यावसायिक कोर्स आते हैं। इंजीनियरिंग क्षेत्र में इलैक्ट्रिकल, इलैक्ट्रॉनिक्स, एयर कंडीशनिंग एन्ड रेफरीजरेशन एवं ऑटोमोबाइल टेक्नॉलोजी आदि व्यावसायिक कोर्स आते हैं। कृषि-क्षेत्र में डेयरी उद्योग, बागबानी तथा कुक्कुट (पोल्ट्री) उद्योग से सम्बन्धित व्यावसायिक कोर्स किए जा सकते हैं। गृह-विज्ञानक्षेत्र में स्वास्थ्य, ब्यूटी, फैशन तथा वस्त्र उद्योग आदि व्यावसायिक कोर्स आते हैं। हैल्थ एंड पैरामैडिकल क्षेत्र में मैडिकल लैबोरटरी, एक्स-रे टेक्नॉलोजी एवं हेल्थ केयर साइंस आदि व्यावसायिक कोर्स किए जा सकते हैं। आतिथ्य एवं पर्यटन क्षेत्र में फूड प्रोडक्शन, होटल मैनेजमैंट, टूरिज्म एन्ड ट्रैवल, बेकरी से सम्बन्धित व्यावसायिक कोर्स किए जा सकते हैं। सूचना तकनीक के तहत आई.टी.एप्लीकेशन कोर्स किया जा सकता है। इनके अतिरिक्त पुस्तकालय प्रबन्धन, जीवन बीमा, पत्रकारिता आदि व्यावसायिक कोर्स किए जा सकते हैं।