ग्रीष्म ऋतु 
Grishma Ritu



650 Words

भारतवर्ष पर प्रकृति की विशेष कृपा है। विश्व में यही एक देश है, जहां वर्षा में छ: ऋतुओं का आगमन नियमित रूप से होता हैं सभी ऋतुओं में प्रकृति की निराली छटा होती है और जीवन के लिए प्रत्येक ऋतु का अपना महत्व होता है। बसन्त ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु आती है। भारतीय गणना के अनुसार ज्येष्ठ-आषाढ़ के महीनों में ग्रीष्म ऋतु होती है। 

इस ऋतु के प्रारम्भ होते ही बसंत की कोमलता और मादकता समाप्त हो जाती है और मौसम गर्म होने लगता है। धीरे-धीरे गर्मी इतनी बढ़ जाती है कि प्रातः आठ बजे के बाद ही घर से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। शरीर पसीने से नहाने लगता है, प्यास से गला सूखता रहता है, सुबह से ही लू चलने लगती है, कभी-कभी तो रात को भी लू चलती है। गर्मी की दोपहर में सारी सृष्टि तड़प उठती है, छाया भी छाया ढूंढ़ती है। 

गर्मी में दिन लम्बे और राते छोटी होती है। दोपहर का भोजन करने पर सोने व आराम करने की तबीयत होती है। पक्की सड़कों का तारकोल पिघल जाता हैं सड़के तवे के समान तप जाती है। रेतीले प्रदेशों जैसे राजस्थान व हरियाणा में रेत उड़-उड़कर आँखों में पड़ती है। जब तेज आंधी आती है तो सर्वनाश का दृष्य उपस्थित हो जाता है। 

धनी लोग इस भयंकर गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए पहाड़ो पर जाते है। कुछ लोग घरों में पंखे और कूलर लगा कर गर्मी को दूर भगाते है। भारत एक गरीब देश है। भारत की दो तिहाई से अधिक जनसंख्या गांवों में रहती है। बहुत से गांवों में तो बिजली ही नहीं है। कड़कती धूप में किसानों को और शहरों में मजदूरों को काम करना पड़ता है। काम न करेंगे तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी। 

गर्मी दुखदायी है परन्तु फसले सूर्य की गर्मी से पकती है। खरबूजे, आम तरबूज का आनन्द भी हम गर्मी में लेते है। फालसे ककड़ी और खीरे खाओं और गर्मी भागाओं। लस्सी और शर्वत तो अमृत है। दोपहर को गली में कुल्फी वाले को बच्चे घेर लेते है। मई व जून की जानलेवा गर्मी के कारण स्कूल बन्द हो जाता है। गर्मी में लोग आकाश को देखते है कि कल बादल आएं और छम छम पानी बरसे। 

गर्मी के बाद जब ऋतुओं की रानी वर्षा आती है तो लोग सुख की साँस लेते है। ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु का आगमन होता है। वर्षा के आने का कारण ग्रीष्म ऋतु ही होती है, क्योंकि गर्मी में नदियों, समुद्रों आदि का पानी सूखकर भाप के रूप में आकाश में जाता है और बादल बन जाता है। उन्हीं बादलों से वर्षा होती है। 

ग्रीष्म ऋतु हमें कष्ट सहने की शक्ति देती है। इससे हमे प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य को कष्टों और कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उन पर विजय प्राप्त करनी चाहिए और स्मरण रखना चाहिए कि जिस प्रकार प्रचण्ड गर्मी के बाद मधुर वर्षा का आगमन होता है, उसी प्रकार जीवन में कष्टों के बाद सुख का समय अवश्य आता है। 

विज्ञान की कृपा से नगरवासी गर्मी के भयंकर कोप और रोष से बचने में अब लगभग सफल हो गए है बिजली के पंखे, कूलर एयर कंडीशनर (वातानुकूलित साधन) आदि से गर्मी के कष्ट को दूर भगाना सम्भव हो गया है। शीतल पेय तथा आइसक्रीम आदि का मजा ग्रीष्म में ही है। ग्रीष्म में हमारे बहुत से अनाज, फल आदि पकते है।

सैकडो प्रकार के फूल खिलते है। बागों मे आमो पर फल लगते है। कोयले बोलती है। ग्रीष्म में दोपहर का समय सोने का बहुत मजा आता है। नहाने और तैरने का आनन्द भी ग्रीष्म में ही है। वक्षारोपन द्वारा गलियों, बाजारों सड़को, और राजमार्गो पर शीतल छाया की व्यवस्था की जा सकती है। स्थान-स्थान पर शीतल जल के प्याऊ लगाकर, छतो पर पक्षियों के लिए पानी रखकर तथा पशुओं के लिए जलकुंड बनवाकर ग्रीष्म की प्यास बुझाने की व्यवस्था की जा सकती हैं। 

हमें ग्रीष्म के कोप से बचाव के लिए पहले से ही व्यवस्था कर रखनी चाहिए।