असथरी
Asthari
असधरी बोगदी रइन, क्वे पौंछदारू भी नी छौ
गबल्यांदी बोलदी रयी स्या, क्वी बिंगदरू भी नी छौ
बड़ी हुणत्याली छै स्या ज्वानी मा अपणी,
चौक मा रैदा छाया, गौड़ी भैंसी लैन्दी,
दानू शरील क्या हवाया, दूध की पोली भी नी च
असधरी.......
घसौरी बणीक दगड्यूँ दगड़ी बोण जान्दी छै
धाणी का बगत पुंगड्यूँमा उलल्दी छै।
खित्त,खित्त हैंसदी छै वा, खैयौँ तैं जिकुड़ मा लुकैकी
असधरी.........
दाई जैसो फेरो मौं की पंचमी आन्दी छै
थड़या चौंफला लगदा चौक भरी जान्दौं छौ
अब रीता थाळा खोळा केंनी चौक मा बुखलो जम्य च
असधरी........
हैंसदी छई जब वा फूल झड़दा छाया
दुःख मा सब्यु दगड़ी बांट दीदी छै माया
दुःख मा दुख्यारी स्या पोड़ी च, क्वी दवा दिन्दरु भी नी च
असधरी....
होश आई जब बिटिन अफ्फू इखुलि प्राया
सोरा भैरुं न बताई वा बाल विधवा राया
जोग विजाग क्या हूंद क्वी संमझौंदरु भी नी च
असधरी..
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