बाटा मा बैठी 
Bata Ma Baithi




बाटा मा बैठी अपणी खुटियूँ की 

पौडी विंवाई, हेरदी रयूँ, हाँ दशड्या हेरदू रयूँ 

सैरी जिन्दगी अपणी जिकुड़ी का 

अलाइयाँ गांठा खोलदी रयूँ, हा दगड्या खोलदी रयूँ


माया की झौल मिसी मिसी आग 

आंख्यू मा रिटणी जन व्याली सी बात 

एक बूंद माया न भरी मेरी गागर, सैरी उमर छलकौंदी रयूँ 

हाँ दगड़ा छलकदी रयूँ । बाटा माँ.......


बूती छा स्वाणा दिन स्वीणों मा 

कुतगली अज्यूं तक लगी जिकुड़ी मा। बाटा माँ.. 

पीपल चौरी जू तिन छै चीणाई, सैरी उमर पाणी चरदी रयूं 

हाँ दगड़ा चरदी रयूं सैरी उमर..


डांडी कांठी भी बचल्यदी रैनी 

नी बींगी जाणी, वू क्या छयी ब्वनी 

मन छौ विज्यूँ अर बूझी छई आँखी, 

सैरी उमर त्वे खोजदी रयूं, हा दगड़या खोजदी रयूं 

बाटा मा बैठी...