रूमक
Rumak
रुमक होंद, घौर कू पैटूदू, मुन्ड मा होन्द गडोलू
ज्यू बोलद मी थौ विसै ल्यूँ,
पर घौर की चिन्तौन रवैये ल्यूँ
उरख्याला मा बुखलो जम्यू च
जंदरी अण छईं पौड़ी च
औरों का बैख कमय्यां छन
मेरो भाग गलेदार पौडयूं च
पैसा न पल्ला, द्वी ब्यौ करला
सदानी मी तें सकस्यांदू च, ज्यू बोलद .....
औरों का नौना आखर बाचणा
मेरो कालो बखरा चराणू च
ज्यू त बेकू भी पढ़ण कू बोलद
बिन पैस्यूं वू टपरान्दू च।
लमडेर बाबा कू असगार वेतै
द्वै देबतों कू दियूं च।
ज्यू बोलद .....
निरमैत्या छौं मी क्वी सारो नी च
मेरा मैत का तरफां भी
काका बोडो न हाल टाली की
देयूं ये लमडेरु कू मी
सुल्फा भँगलची ऐवी च विन्डी
धार-धार डबखाँदू च .... ज्यू बोलद
गोफड़ा जनी अपणी जिन्दगी
कटणी च मोल माटा मा
खौरी जिकुड़ी कू उमलदो दूध
खती खती जान्दू चूल्हा मां
भभरान्दी आग पर पाणी का छींटा
दानो सयणों की मलास मा।
ज्यू बोलद .....
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