दानू सरील
Danu Sarila
दानू सरील आख्यूँ मा स्वीणा, झणि कबकू मी देखणू छौं।
खौरियूं मा खरची सैरी उमरी, गाणियूं की गदनी मा बोगणू छौं
वारा रितु बौड़ि बौडिक ऐनी, सौजड़यूँ दगड़ी दिन कटी गैनी
आँखा पर जांलू क्वी दुनिया दिखालू, झणि किलै मी सोचणू छौं?
दानू.....
नांगी खुटयूँ ना डाडी काँठी नापी, गारा कान्डू न द्वी खुटटी छाँपी
कटिगे बगत वू कान्डूं का दगड़ा, फूलू की स्याणी अब करणू छौ।
दानू....
कै का गोरु? कै को उज्याड? कै को पुंगडो? कै को पगार?
गाल्यूँ की माला मिन किलै पुर्याई, अब ये बगत मी सोचणू छौं
दानू....
मोटो पैनी मोटो खाई-२ कभी फीकी चा दगड़ी गुड़ भी नी पाई,
आज बावन व्यंजन बनी बनी भोग, फिर भी रस्याण नी आणी च।
दानू सरील आंख्यू मा स्वीणा.
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